पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२५४

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सेन-धंश । अकबरुनीने लिखा है कि अब तक हिन्दुस्तान महुत जर तुरुतके अनुयायी हैं। उनकी मग कहते हैं। मगं ही भारतमें सूर्य के पुजारी है। वाक-संवत १०५९ ( घंक्रम-संवत ११९५ } में मगज़ात शाकइस माह्मण गट्ठाघरने एक तालाब बनवाया था । इसकी प्रशस्ति गोविन्दपुर ( गया जिलेके नवादा दिमागमें ) मिली है । उसमें लिखा है कि तीन लोकके रक्षरूप अरुण { सूर्यके साधेि ) के निधाम से शाकद्वीप पवित्र हो । यहाँके ब्राह्मण मग कहाते है । ये सूर्यसे उत्पन्न हुए हैं। इन्हें श्रीकृष्पाका पुत्र शाब इस देशमें छाया था। इससे भी ज्ञात होता है कि मग लोग शक-द्वीपसे ही भारत में आये हैं । यह गाधर मग राजा रुमानका मन्त्री और उत्तम छवि था । इग्ने अईतशतक आदि अन्य बनाये हैं। | पूर्वे-कयित बल्लालचरित शर्क-संवत् १४३२१ विभसवत् १९६७) में आनन्द-भट्ने सनाया। उसने उसे नवदीप राजी बाई मतको अर्पण किया । आनन्दभड़ चालके आश्रित अनन्त-भट्टका वंशज था, और उक्त ननदीप राजा रागामें हता था । आनन्छ भने यह ग्रन्। निग्नलिखित हुन पुस्तके आधार पर लिखा है ।। १ वालरोनको शैवं चनावके (वरिकाश्रमवासी) साघु हिनरिचैत व्यासपुराण ।। २-कवि रणदचको बनाया बल्लालचरित। ३–कालिदास नन्दकी जयमङ्ग लगाया। तु सिंहनि को बहालसैन। गुरु ही भी। परन्तु पिछले दोनों, शरणदत्त र कालिदास नन्दी, भी उसके समकालीन ही होंगे, क्योंकि 1) Alberorite India, English translation, Fal I, P. 2। (३) इस माशाम नाम जुम्मन था । (१) Ep, Ibd, Yat. II, ३१ । २५)