पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२५६

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सेन वंश । सन् १९०५) लिखता है । उसमें यह भी पाया जाता है कि यह संवत् मजतेन राज्यको सत्ताईसवाँ वर्ष है। लक्ष्मणसेनझा जन्म शकसंवत् १०११ (वि० स० ११५७६) में हुआ था। उस समय उसका पिता घल्लालसेन मिथिला विजय कर चुका था। अतएव यह स्पष्ट है कि उस समय के पूर्व ही वह ( बल्लालसेन ) ||ज्यका अधिकारी हो चुका था । अर्थात् छालनने ५५ वर्षसे वाधिक ज्य किया। यदि लक्ष्मण जैनके जन्म समय बञ्चालनकी अवस्या २० वर्षकी ही मानी जाय तो भी गङ्गा-प्रदेशके समय वह ८० वर्ष लगभग था । सी अवस्थामै थ६ अपने पुत्र राज्म सौंप कर उसने जल-समावि ली हो तो कोई आश्चर्यकी बात नहीं। क्योकिं प्राचीन समय ऐसा ही होता चला आया है । बहुजसे विद्गनिने चलसेनके देहान्त और लक्ष्मणसेनके राज्याभिषेक के समय इनरोन या चलना अनुमग करके जो वज्ञानका राजत्वकाल रियर किया है वह सम्मद नहीं । यदि वे दानसागर, अद्भुतसागर और सारे मत नामक ग्रन्थको देखते तो उसी मुत्युकै समयमें उन्हें रान्ह न तोता। मिस्टर प्रितैपने उफनलफे नेमके अधिर पर ईसवी सन १९६६ से १११६ ते ५० वर्ष चालनका राज्य करना लिसा है । परन्तु जनरल फनि¥हामने १०५० ईसवी रो १०५६ ईसच तक और ाक्टर राजेन्दुलार मिनने ईसवी सन् १०५६ से ११६ हद अनुमान किया है । परन्तु ये ममय ठीक नहीं जाने पक्षले । मैत्र मौर्याने दुनिसरगरकी रचनायें *मघा यह छोझ उद्धत किया है-* पूणे शिनसिंते शा"। (१) Going on Sani li, Ya) 111,11,