पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२५९

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भारतकै प्राचीन राजवंश निवेदन किया किं महाराज, प्राचीन पुस्तॉमें मविप्यदाणा लिरी र कि यह देश के अधिकारमें चला जाएगा । तया, अनुमनसे भी अतीत होता है कि वह समय अब निकट है; बयॉर्क विहार पर उनका आकार हो चुका है । सम्मवतः अगले वर्ष इस राज्य पर भी था। होगा । अतएव उचित है किं इनके दुःख़से बचनेके लिए अन्य लोगों साहत आप कहीं अन्यत्र चले जायें। इस पर राजाने पूा कि क्या उन पुस्तकोंने उस पुरुष के लक्ष भी लिखे हैं जो इस शो विश्य करेगा १ विद्वानोंने उत्तर दियाहो, वह पुरुष आजानुबाहु ( खड़ा होने पर जिसकी गलियौँ घुटने तक पहुँचती हों ) होगा। यह सुन कृर पनाने अपने गुप्तचरों द्वारा मालूम करवाया तो वसपार रिग्लज वैसा ही पाया । इस पर बहुत धामण आईि उस देशको छोड़ कर सनात ( अन्नाय } अङ्ग ( पूर्वी बङ्गाल), और कामरूद ( कामरूप-आसाम ) की तरफ चले गये। तथापि राजाने देश छोड़ना चैत न समझा। इस घट्नाके दूसरे वर्ष मुहम्मद इस्तिया बिलगने चिरसे ससैन्य *च पा र ८० ग्वार साहत आगे बढ़ कर चानई नायी तर धीरा किया। परन्तु नया शहरमें पहुँच कर उसने किसको छ इ-डाई न की । संधी नि-महड़क तरफ चढ़ा। इससे दोन उF पाईका व्यापारी समझा । जव यह राज-मइके पास पहुच गया तः उसने एकदम हुमठा किया और बहुत से लोगों को, जो उसके सामने ये, मार गिराया। अगर उ समय भोजन कर रहा हो। वह इग मोलमटिको मून महल उठे रास्ते में नई ३ निकल भाग्न और पा राष्ट्र जापाथ)ी तरफ चट्टा गया। पर ज्ञामुर्की मृत्यु ह । धा निकै मागते । बनियार पा फॉश भी थी । पहुँची मोर