पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२६१

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भारत के प्राचीन राजघंश मिस्टर रावटी अपने तबकाते नासिके अँगरेजी-अनुवाइकी ट्रिप्पमें लिंसते हैं कि ई०स० ११९४ ( हिजरी सन् ५९= ) में पढ़े घटना हुई हो । ६. यामस साहव हिजरी सन् १९९ (१० • १-०२-३ ) इसको होना अनुमान करते हैं । परन्तु मिस्टर झाकमैन्ने बिगैप वौजसे निश्चित किंया है कि यह घटना ६० स० १११८ और ११९९ के बीच है। यह समय पण्डित गौरीशङ्करजी अनुमानसे मी मिलता है। दन्तकृया जाना जाता है कि जगन्नाथकी तरफसे वापस मार्कर पणन विक्रमपुरमें रहा य । म झमृत फतीने शङ-सुबत् ११२५७ ( विक्रम-सवते १२६२, ईमः१२०५ ) में मीं लक्ष्मणसेन राना लिस्सा है। इस सिद्ध होता है कि उस समय तक भी वह विद्यमान पा 1 सम्मत्र है इस समय वह सोनारबम राज्य करता हो। बतियार पिळजी आक्रमणके समय काश्मन राज्य करते हुए २१ वर्ष हो चुके थे। उस समय उसकी अब ८ वर्षकी थी। उसके पिके भिन्न भिन्न प्रदेश में उसके पुत्र अधिकारी नियत हो चुके हैं। उमा देहान्न जिंक्रम-सईद १२६ (ई.स ११०५) के बाद हुआ होगा | जनरल कृनिद्दामके मतानुसार उमझी मृत्यु १९०६ ईसवीमें हुई। विन्सेन्ट प्रिय साने दमणसेन सय ११७० मे १९०० दुई सय लिई 1 उप्त राज्य सर का एक तापने ना * । उसमें उमक तीन पुन रोना उमेस इ-मापसेन, के हायसेन, (।) IE { 5'1515, 2 +15 () : 1E A 8, 1578 P 380 (DASB, vot IV, 167 ६