पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२६२

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सैनचंश । बिवरूपसैन । जरनल आयू, दि वाम्मे एशियाटिक सोसाइटीमें इस तुम्रपत्र रात बना लिया है। यह गहनीसे हो गया है। क्योंकि ॐ फोटोंमें अङ्क तीन स्पष्ट प्रतीत होता है। तबकाते नासिक कसने लखनौती-राज्यके विषय लिया है। यह प्रदेश गङ्गाके दोनों तरफ फैला हुआ है। पश्चिमी प्रदेश राल | राट्ट }हलाता है। इसमें लखनैती नगर है । पूर्व तरफके प्रदेश वरिन्द ( चन्द्र) कहते हैं। आगे चल कर, अमनके द्वारा चख्तियारके मारे जानेके बाव वृत्तान्तमें, वहीं अन्यकर्ता लिखता है कि अलीमर्दानने दिवोट जाकर राजकार्य संपाला और लखनौतीके सारे प्रदेश पर अधिकार कर लिया। इससे प्रतीत होता कि मुहम्मद चख्तियार खिली समय सेमराज्यको अपने अर्चिकोर-मुक्त न कर सका था। | अलफ़जलनें श्मसेना केवल सात वर्ष राज्य करना लिखा है, अन्तु यह वीक नही । | उमापतिघर ।। इस कविकी प्रशंसा जयदेवने अपने गीतगोविन्दमें की है-* वाचः अञ्जयत्युभापतिधरः –इससे प्रकट होता है कि या तो यह कृर्चि जयदेवका समकालीन था या उसके कुछ पहले हो चुका था। गतगीविन्दकी दीकासे ज्ञात होता है कि उक्त इलोकमें वर्णित उमापतिधर, जयदेव, झरण, गोवर्धन और घोम लक्ष्मणसेनळी सभा रन थे । | वैजपतोपिणीमें ( प भागवतकी भावार्यदीपका नामक टीकाकी फा ३) लिला १.जयदेवसचरण महाराजलक्ष्मणसेनमन्त्रिवरेषा उमापतिपरे' अर्घा जयपके मित्र और लक्ष्मणसेन मन्त्रा उमापतिधरने । इससे इन दोनोंकी समकालीनता प्रकट होती है। () Rawarty's Tebkatanzini, P. 668. (f) llavortyon Tbkata =nelri, F. 578. (३) सर्बियपत्रिका, इण्य ११, सल्मा १, ५ ० ८५.।। ।'ई