पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२६९

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मारच पाचन जियश उसके यो ताम्रपत्र मिले हैं—पहली इसके राज्यके तीसरे वर्षका दूसरों चैदहवें वर्ष का। अगुलफज़लने, इसकी जगह, सदानका १८ वर्ष राज्य करना डिसा है। १ नज़माधव । अबुलफजलने सासैनके पी३ नोजाका राजा होना लिखा है। घरकाकी फारिकाऔमें शत्रसेनके वाद दनुजमाच ( अनुजमर्दन या दनेजा माघव ) का नाम दिया है। सारीस फीरोजशाहीमें इनका नाम वनजराय लिखा है। ये ताना नाम सम्भवत' एक ही पुरुपके हैं। ऊपर जा जा चुका है कि अगुलफनने इसको मोना लिया है। अतएव या X अफजळने ही इसमें गलती की होंगी या उसकी रचित आईने कचराके अनुवादकने । घट्टॉकी कारिका में इसका प्रतापी होना सिद्ध होता है। इनमें यह भी लिखा है कि लक्ष्मगनसे सम्मानित चढ़कसे माझग इसके पास आये थे, जिनका पादसे देते कुई सन्मान गर्ने क्रिया या । इसने कायस्थ छुईनला यर्न रखने के लिए, घटक आदि नियन्न करके, उत्तम प्रबन्ध किया था। विमपुरको उठकर चन्द्रप ( नाम्टा ) में इसने अपनी राजधानी कायम की । इसके विक्रमपुर छोडनेका कारण यवनोंका भय हीं मान्म होता है ।। | मनौतीका हाकिम मुffमुद्दीन तुगड, वियर से बगावत , बहाई स्थतन्त्र स्वामी बन चै । तने देॐ वाइफा घट्यनेने उस पर दवाई है। उसकी दर पाने ही तुरई पनाती छोई इर भी गया । वाहने उसका पड़ा किया। इस मामय रासामे { मुनारगाम /

  • )J BAS Vol VII 4 JE A 8, Fol LXV, art I P9