पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२७२

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चौकुन-वंश । चौहान-बैंश । उत्पन्न। | पि आजकल वहानबंशी क्षत्रिय अपनैको अशी मानते है और अपनी पनि परमारोफी ही तरह यष्टिके अ तं बताते हैं, तथापि वि० सं० १ ०३० से १६०० (३० स: ९७३ से १५४३ } तककै इनके शिलाखों रहीं भी इसका उसे नहीं हैं। । प्रसिद्ध इतिहासलैराक जैम्म दौड महिनो हॉसके किलेसे वि० सं० १२२५ (३० म० ११६७ } का एक शिलालेख मिला यः । यह चौहान ना पृथ्वारा द्वितीयकै समयका 1 # लेखमें इन चन्द्र वैज्ञा लिखा था । मानुपर्वत परके अचलेश्वर महादेव मन्दिरमें वि० सं० १३८८५) (६० स० १३१० ) का एक शिलालेख लगा है। पडू देहा (हान) राम कुंभ, मया है। इसमें लिखा है:--- | शर्य र चन्द्र अस्त हो जाने पर, जब संसार उप हायम हुमा, वय वन्सपिनं ध्यान झेपा उस समय घत्सम मान, र मुन्द्रपाके पसे ए* पुरुप पन्न हु... ।” | उपनः ॐ भी इनका चन्द्च ना ही द्धि होती हैं। फर्नङ टोg It; ने भी अपने रागथानमें चीनको चन्द्रवंशी, चुसनी और साथैइ माननेवाले लिंग हैं । वीसलदेव चतुर्थंके समयका एक लेख अजमेरो अगायन व वसई हुआ है । इसमें नौहानको सूर्य लिरहे ।। ग्वालियर तानी राजा वीरमके पावन नचन्दसानै (१) »rene334 01 tua lathas Kinga of Dell. ६६५