पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२७४

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चहान-बंश । । '१५४३) के करीब लिखा गया था । परन्तु इसमें ऐतिहासिक सत्य बहुत ही थोडा है ।। अजमेरका चौहानराजा अणराज बड़ा प्रतापी थी । उसके नामकै अपश अनल' के आधार पर उसके वंशज अनलोत कहलाने लगे होने और इससे पृथ्वीराज रासा नामक काव्य ऋतने उन्हें मवंशी समझ ठिया होगा । तया जिस प्रकार अपने अधिश मानने वाले परमार चाहगोची समझे जाते हैं उसी प्रकार इनको भी अविशीं मानकर वडिगोत्री डिव हिंम होगा । राज्य । योहानों को राज्य पहले पहल अहिच्छत्रपुरमें था । उस समय यह देञ्च | उत्तरी पांचाल देशक राजधानी समझा जाता था । बरेठीसे २० मोड़ पश्चिम तरफ रामनगर के पास अबतक इसके मायशेप विद्यमान है। वि० सं० ६९७ (३० स० ६४० ) के की प्रसिद्ध चीनी यात्रा | हुएन्संग इस मगरमें रहा था। उसने लिखा है ।। अहिच्छत्रपुरा राज्य करीव ३३०० डीके घेरे में है । इस नगरम के १० सघाराम हैं। इनमें १०८ भिक्षु रहते हैं । यहाँ पर विध| नियों ( ब्राह्मण } } भी ९ मन्दिर हैं ।इनमें भी ३०० पुजारी अहेकि निवासी सत्यपंप और अच्छे स्वमायके है । इस नगर बाहर है। | एक तालाव है। इसका नाम नगिसर है।" उपर्युक अच्छापुर से ही ये लोग इशाकम्मरी ( सर-मारघाट ) में, आये और इसे नगरको उन्होंने अपनी राजधानी यनीया । इससे नई उपाधि शाकम्भरीवर हो गई । यहाँ पर इनके अधीनका राव देश इस " ( १) पाँन ठीक एक मील है। या । ३१७