पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२७७

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भारतकें प्राचीन राजापर अर्पिकार कर लिया था और याप्से राजपूनाने पर मी मुडमानके मग आम हो गये थे। ८-दुभराज । यह गोपेन्द्रराजका उत्तराधैिंकारी शा । इसकी 'दुलाय' मी हते थे । पश्चगन-विनयमें लिखा है । यह गौडोंसे हुदा या । र समय पर पहल अजमेर पर मुसलमानोन्ना आमाण हुआ था। नि उच्च सुदने यह अपने ७ वर्प पुत्रहित मारा था या । सन्मवत यह आज़मग त्रिः सुरु ७८१ र ६८३ ( ई सु. ६२४ र ७२६) ६ च (संझे हेनानायक हुल रहमान पुन जुनैके समय हुआ होगा । ९-गुवक ( प्रथम )। यह दर्दभन्न प3 ग्र वै । चयपि ' मृम्बारा-विजय' म इसका नाम नहीं लिंवा , त्यादि बनोग्या जोर हुर्धनाथ मन्दिर मिले हुए टेम्पोंमें इसी नाम ईमान है। | मने अपनी वीरता कार" वो नामक निार्क मार्गे 'दार ' की पदवी प्राप्त की य । पह नागाचोक दिः । ८! ३० स० ७५६ ) के निकट बिंदमाने मी 1 क्योंकि fa= सः ८१: झा वाहन मद्ध दिया एक तान्नमन मिठा है। यर् मद्ध मन ( मच-मुन्नान ) को स्वामी ६ ! इम उन तन्निा इस छ। नागबठोका सामन्त लिया है। इससे सिद्ध होता है कि इक मी १० स ( ६० - ७५ ) के फरीब विद्यमान हो । १०चन्द्रराज (द्वितीय)} ८ गया इत्र र राझिj थी। F