पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

भारतके प्राचीन राजवैश ३६-चामुण्डराज । यह वीर्यरामका छोटाभाई और उत्तराधिकारी : । यद्यपि पृथ्वीराज विजयमें इसके राजा होनेका उल्लेख नहीं है, तथानि नजोल्याके लैप, हम्मीरमाकान्य और प्रबन्धक शर्का वशाली। इसका राजा होना पृथ्वीराज-विजयसे यह भी ववित होता है कि नरयरमें इसने एक विष्णमन्दिर बनवाया था। इसने जिमीन चन्द्र बनाया। २१-दुर्लभराज (तृतीय)। यह् चामुण्दराजका उत्तराधिका था । इसको दूसल मी कहते थे। । यद्यपि चीजोल्याके हेसमें चामुण्डानके उत्तराधिकारीको नाम सिंहट लिंबा है, तथापि अन्य वशवालयमै उक्त नाम न मिडके कारण सम्भव है कि यह सिंहभट शब्दका अपश हो र विशेषणकी तरह काम लाया गया है। | युवराज विजयमें लिखा है कि इसने मालवेॐ राजा उपदिश्यकी सहायता सहस्रबार सेना लेकर गुजरात पर बडाई की और वहुँके सोलकी राना फर्णको मार डाला। यह दुर्लभ मेवाइके दावद्ध बरिचिघसे रडते समय मारा गया था। मीर-महाकाव्यमें दुभके उत्तराविका नाम दुल लिस्वा है । परतु यह ठीक नहीं है, क्योंकि यह तो इसका दूसरा नाम था और अस्तिवमें देखा जाय तो यह इसके नाभा प्राकृत रूपान्तर मात्र है। इसी काय दूसलका गुजरातके राजा कर्णको मारना लिया है। परन्तु नराश लेसने इस विषयमें कुछ नहीं दिया है । हैवल हेमचन्द्रने अपनै न्यायिकाव्यमें इतना दिशा है कि, कर्णने निकै ध्यान डीन १३