पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८२

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चीन-चैश। होकर यह शरीर छौंद दिया। उपर्युक्त का राज्यकाल वि० सं० ११२० से ११५६ (६० स० १०६३ ३ १०१३) तर्क था । अतः दुर्लभं राज्यका भी उक्त समयके मध्य वियमान होना सिद्ध होता है ।। प्रबन्धक शके अन्त वंशावटीमें लिखा है वि दुसल (इभरराज ) गुजरात राजा फर्णको पकड़ कर अजमेर ले आया। परन्तु यह बात सत्य प्रतीत नहीं होती। २२ वीसलदेव (कृय )। यह दुर्लभजका छोटा भाई और उत्तराधिकारी या । इसका दूसरा नाम विग्रहराज ( तृतीय) भी था ।। बसल-देवरासा नामक माघाके काव्य में इसकी रानी देवीको मालवेके परमार राना, गजकी पुत्री लिखा है और साथ ही इसमें इन दोनोंका चहुतसा कपोलकल्पित वृत्तान्त भी दिया है । अतः यह पुस्तक ३तिहा| सिॉके विशेष फामकी नहीं है 1 इम पहले ही ले चुके हैं कि राना भोज वापरामको समकालीन या 1 इसलिए थीसदैवक समय मालवेपर | उपादियके उत्तराधैिकारी लक्ष्मदेव या उसके छोटेभाई नवम्बका राज्य होगः ।। फरताने लिखा है कि वलदेव ( वीरालदेव ) ने हिन्दुराजाको | अपनी तरफ मिलाकर मोद्दके सूनेदारोको हॉसी, थानेश्वर और नगर कोटसे भगा दिया था। इस युद्धमें गुजरात राजाने इसका साथ नहीं बिंया, इसलिए इसने गुजरात पर चट्टाई कर वहां राजा हावा र अपनी इस जिय यादगारमें बीसलपुर नामक नगर पसाया। यह नगर अब तक विद्यमान है। प्रवन्धकाँश अन्तमें दी हुई वैशविलीमें लिंग के बीसलदेव एक पतिता दाह्मणीका सतीत्व मष्ट किया था। इसीके शापसे ग्रः कुष्ठसे पईत कर मृत्यु को प्राप्त हुआ।

 

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