पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८३

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भारतके प्राचीन रजियश | पृथ्वीराजरासेमें बीसद द्वार। मोर नामक एक वैय-कन्याका 'सतीत्व नष्ट करना और उसके शापसे इसको हुद्धा दक्षिस होना लिया है। यद्यपि इस शमें बीसदैव नाम चार राजा हुए हैं, तथापि पुरानरासाके फोन उन सब एक ही सयालझर इन चाका मृत्तान्त एक ही स्थान पर लिख दिया है। इससे वहीं गन्न हो गई है। | इसके समयका एक लेख मिला है। यह राजपूताना-म्यूशियम, | ( अजायबघर ) अजमेरमें रखा है। इसमें इनको सूर्यवंशी लिखा है । | २३पृथ्वीराज (प्रथम)। यह वीसलदेवछ। पुन और उत्तराधिकारी या । प्रसिद्ध जैनसामु अभयदेव ( मलधारी ) के उपदेश रणस्तमपुर ( रणथर ) में इसने एक जैन मन्दिर पर सुपर्णा फलश घरवाया थ । इसकी रानीका नाम सचदेवि था । २४-अजयदेव। मह पृथ्वीराजका पुन और उत्तराधिकारी था । इसका सूरा नाम अनपराज मा । पूवरा-विजयमें लिखा है कि वर्तमान । अजयमेरु ) अजमेर इसी३ असाया था। इसने चादिङ, सिन्धुल जौर पौराजको युद्धमें राकर मारा और माह राजाके सेनापति सल्ह्णको युद्धमें पः लिया तथा उसे पर बौंपकर अजमेर ले आया और महाँपर फेद कर रपसा । इसने मुसलमानचे भी अच्छी तरहसे हराया था। अजमेर नगाके घाये जानेके पिय दम्र भिका पुराने इस मिन्न मत दिने १ (2) Pro Porter nr 1 il soport, ' 87