पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२८९

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भारत चीन राजवंश सिंह भी इस आ मैं 1 मागे घइने पर चौहान और झोलकिया बीच युद्ध हुआ । इस युद्ध में कुमारपालने को तरसे उनको आहतका हाथ परसे नीचे गिरा दिया और उसके हाथी घोड़े ने लिये । इस पर अन्नने अपनी बहन जहा विवाह झुमारपाल जाप सुने मन कर छ ।” इस युद्धमें पूर्वोक्त परमार विक्रमसिंह अ नसे मिल गया था, इस लिये उसे केंद्रका चन्द्रावृती राज्य कुमारपालने उसके भतीने यदलको दे दिया था । | फीकीमुदीमें इस मुद्दका सिद्वरज्ञ जयसिके रामय होना लिसा है । यह ठीक नहीं हैं। यद्यपि उपर्युः मन्थॉन इस युद्धको वर्णन अतिशयोक्तिपूर्ण है, तथापि इतना तो स्पष्ट ही है कि इस युद्धमें कुमारपाली नेप हुई थी। वि० सं० १९८७ ( ई० रु. ११५०} का एक लेस चाडके किमें भ रके मन्दिर में लगा है। उसमें है कि 1म्भरीके राजाको जीत और सपाइन्न देशों मर्दन कर शव कुमारपाल शादिपुर में पहुँचा तव अपनी सेना यह ह वह स्वयं चित्रफ्ट ( चित्तौड़ } की शोभा देवनेको यहाँ मी 1 यह ले उसज्ञा पुर्व चाया हुआ है। | वि० सं० १२०७ र १२०८१ ३० स० ११५० जोर ११५१ } * चीच यह अपने बड़े पुन जगदेर पहें मारा गया। | २६-जगदेव ।। पर अशा पट्टा पुत्र था और उद्धको मारकर आपका भी इ ।। दरसे नवयमें अर ल्याकै सेसमें जगदेवा नाम नहैं। है, अथाव पुरान-विजय ५ मा ?,' गुर्थ

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