पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९०

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चोहान-वंश । या बडे पुन्नने अपने पिताकी वैसा ही सेवा ॐ जैसी कि परशुरामने अपनी माता की थीं। तथा वह अपने पीछे वृक्ष हुई बत्तीकी तरह दुर्गन्ध छोइ गया । " इससे सिद्ध होता है कि जगदेब अपने विताको हत्या कर अपने पछि भद्दा मारी अपयश छोड़ गया था । बीजोल्याके लेख में लिखा है कि-'अराजके पीछे उस बिंद्रह गज्यका विकास हुआ और उसकें पीछे उसके बड़े भाई का पुन पृथ्वीराज राज्यका स्वामी हुआ । इस से प्रकट होता है कि उक्त लैंप लेखकको भई उक्त वृत्तान्त मारूम था । इसी लिये उसने पृथ्वीराज विंगहराज के बड़े भाईका पुत्र ही लिया है। परन्तु पृथ्वीराज के पिंतपात पिताका नाम लिपना चित नहीं समझा। | एक बात यह भी विचारण्य है ॐि ई विपन्न पड़े भाई पुन वमन था तब फिर दिपाको राज्याधिकार से मिला । इससे अनुमान होता हैं किं चिंता इत्या करनेके रण सब लोग जगदेवसे अप्रसन्न हो गये होंगे और उन्होंने उसे राज्यसे हटा उसके छोटे भाई विग्रहानको राज्यका स्वामी बना दिया हो । हुम्भ-महाकायमै और प्रबन्धकोशके अन्तही वैशाबसे जग देवा राजा होना सिद्ध होता है ।। उपर्युक्त सव बातों पर इंचार करनेसे अनुमान होता है कि यह बहुत ही थोड़े समय तक राज्य कर सकृय होगा, क्यों कि इfiध है। इसके छोटे भाई त्रिहिनने इससे राज्य छन लिया था। २७-विग्रहसन ( घीसलदेव } चतुर्थ । यह रानफा पुन र गरेका डा माई थी, तथा अपने नई गाईके तेज उससे राज्य नकर गईंपर वैा । यह वा प्रतापी, वीर और विद्वान् राया था।नौल्याके से ज्ञात ता है कि इसमें नाडोल र पाहीको नष्ट किया तथा जोर अर ३४३