पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९३

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पर्युक्त युद्ध इन दोनों में किसी एफके साय हुआ होगा, क्योंकेि थे टॉम क्रसर इचर उधर हमले किंया करते थे। बतपुर गाँव गर गजमेरके पाराका चल्लर ( मीया ) ताल्लाव भी इसकी यादगारे हैं। इसके समयकें ६ लेख मिले हैं। पहला वि० सं० १२११ य है । यह भूतेश्वर मन्दिके एक सम्मपर इदा है । यह मन्दिर में ( जहाजपुर जिले ) ॐ लोहरी गैर आy मलके फासले पर है । | इस बार तीसरा चे० स० १२२०३० स० ११६३) का हैं । चौथा बिना वत्का है। ये तो छेत्र देहीकी फीरोजशाहकी लाट पर अशोक्की आज्ञाओं के नीचे उदे हैं । पाँच और छा देख मैं त्रिंना सवत्का हैं । ये दोनों द्वाई दिन झुपडे धुवरपर सुई है। | इस मन्त्रीको नाम राजपुन सन्प्य पाल था । गै चाहने पृथ्वीराजरासे आधार पर सा यसलदेय ( विपराग) नानक राज्ञाको एक ही • मानकर उपर्युक्तः पिं० स० १३२० ॐ ऐका सवत् ११२० पद्धा या । परन्तु यह इक नहीं है । उन्होंने पुत्री फीरोज प पर कंपन वर्णन किन यसबके तीसरे लेके विपयमें लिंगता है कि इस द्वितीय श्लोकमें पृथ्वीराजका यन है । परन्तु यह भी उनका भ्रम हैं। है । इन राट पर लेपमें वीरान देयके Gिr: नम आनय हा ३ । २८-अमरगर्गिय । यह विग्रहराज ( वीरल) चनुर्यका पुन और उत्तराधिकारी था । पृथ्वीराज विजय विहजिकै दी। उसकै पुनका उत्तराधिका होना और उHॐ प्राद विताको मारने वाले पूफ जगदेके पुत्र पृथ्वी भरका राज्यभर वैठना लिया है। परन्तु उसमें विग्रहराज पुन अमगायका नाम नहीं दिया है।