पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९४

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प्रवन्ध फाशके अन्ती बंशावली वीसलदेबके पीछे अमरगांगेयका और उसके बाद पैथवा अधिकारी होना लिंखा है। | अलफनल बल (बीसलके ) बाद अमरेगुफा राजा होना वताता हैं। | भाटकी ख्यातमें वीसलदेबके पीछे अमरदेव या गदेवा अधिका होना लेवा हैं । हुम्मर महाकाव्यमें बीसलदेव पीछे जयपका र उसके थाइ मंगपालको नाम लिखा है । परन्तु यह ठीक प्रतीत नहीं होता। बीजील्या लेख में इसका नाम नहीं है। उपर्युक्त लेखोंपर विचार करने में अनुमान होता हैं कि अमर गाँमेय छ । यो दिन एज्य ने पाया हो और एक देबर पुन पृथ्वीराज द्वितीयने इससे शीघ्र हैं। राज्य में छिपा होगा । इससे पुथ्वीराज-वैदय में और बोल्या लेमें इसका नाम नहीं दिया है। | २९-पृथ्वीराज (द्वितीय)। यह् जगदेवा पुन और विरानका भर्तीजा था । इसने अपने चचेरे भाई अमरगांगेय राज्य ज्ञान लिया। वि० सं० १२३५ की ज्येष्ठ कृणा १३ का एक लेंस रूठी रानी मन्दिर में लगा है । यह मन्दिर मेवाड़ राज्य जहापुर से ७ मील परके धौड़ गांवमें हैं। इसमें इस अचने वाहुनलसे शाकम्भरीका राज्य प्राप्त करनेवाला लिखा है । इससे मी एक वाती हैं। पुष्टि होता है। पृथ्, पथदव, पृथ्वभट आदि इराके उपनाम थे। यह बड़ा दान और वीर राजा था | इसने नेफ गाँव और बहुत रायण दान किया था, तथा वस्तुपाल नामक राजाको युद्ध परास्त कर उसका हाथ छीन लिया था।