पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९७

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भारतके प्राचीन राजधा उपर्युक्त वातपिर विचार करने में पृथ्वीराजरासैके लेखपर विश्वास नहीं होती । उसमें यह भी लिखा है कि ज्ञानेश्वर गुजरात राना भेलामके हाथ से मारा गया था । परन्तु यह बात भी ठीको प्रतीत नहीं होती, यांकि एक तो सोमेश्वर का देहान्त बि स १२३६ (इ. स. ११७६में हुआ था। उस समये मेलामम दीक ही था । दूसरा याद ऐसा हुआ होता तो गुजरात के कवि और लेआफ अपने अन्थोंमें इस बात उड़े बड़े गौरवके साथ करते, असई ३ इन्धन अगर: जपरी कुमारपालकी विजय किया है । सोमेवर तानेके सिंचे मिले हैं । इनपर एक तरफ नारफी सूरत बर्न होती है और 'श्रीसोमेश्वरदेय' र हिंसा रहता है, क्यों दूसरी तरफ बैलकी तसबीर ** *आसाप जामतर्देश ' हेस गुदा होता है। 'आय' शब्द ' अशापू14' का धिंगह। हुअा रूप है । इरादा अर्थ पूरादेवीमें बन्ध रसनेमा हैं। यह अपूरा देवी महान की कुल १ ।। इस रामप्र ४ कैद मिले हैं। पहा वि० स० १२२६ १३० स० ११६९) फाल्गुन कृष्णा ३ ६ । यद् नौजल्या गपके पास की इन पर खुदा हैं और इसा ऊपर ई - इन अ शुका है। दूसरा वि० सं० १२२८ ( ६० स० ११५१) ज्येष्ठझुक्क १० को । तीसरा ३८ स१२२९. (६० ० ११७२) श्रवणशुक्ला १३ की । ये दोनों घोड़े गर्दै पूर्व रूठोरनी मन्दिर स्तम्भ पर सुदे हैं । चाँया वि सः १२३५ (६० १ ११७) इश्शक्का ४ का है । यह अविश्वा के बाहर के दृपर पड़े हुए स्तमुपर हुदा हैं । यह गाँव जहाजपुस ६ ३tस पर है। २५