पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९९

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मारतके प्राचीन राजा ( पृथ्ईरान) ने उस किले पर चढाने। इस पर शहाबुद्दीन गजनाते मापस आना पक्ष । वि० ० २७१ ६० से ११९१६} मैं तिरीरी (कनहि जिज्ञा ) के पास सड़ाई हुई । इस सदमें हिन्दुस्तान सज र रायकोग (पृथ्वीरान ) ई तरह थे। सुङनाननै हाथी पर बड़े हुए दिल्ली के राजा गोविंदम्य पर हम किया और अपने भाडेसे उसके दो दान तोड़ डाले । इसी समय उक्त जाने वरकर सुलतान रू'थको जमी कर इिया । इस पात्र पहिासे सुननका घोड़े पर ठहरना मुशकिल हो गया । इस पर मुसलमानी सेना झाग सी हुई । सुलतान भी घोडेसे गिरने ही बारा पा कि इतने में एक बहादुर सिरनी गियाही पक कर बादशाहवे घोड़े पर चढ़ बैठा और घोहे को भगाफा बादशाह राक्षबसे निकाल ले गया । यह हालत देख राजपूननि मुसलमान होना था किंवा र मटिहा नामक की जा रए । तरह मनके घेरे के बाद उसपर राजपूनाका कब्जा हुन । | सास फरिरवा में लिखा है

  • सुल्तान मुहम्मद गोरी ( शहाबुद्दीन गरी ) ने हिजरी सन् ५८७ १ वि० सं० १९४७-६० स० ११९१ ) में पैर हिन्दुस्तान पर चढ़ाई की

और अजमेरी तरफ जाते हुए भी पर मना कर रिया । तया उसकी हिफाजतके दिये एक हजारसे अधिक सवार और कवि उतने ही पैदल सिपाही देर मलिक जियादीत्र हकीकी यहाँ पर नियत इ दिया । दापिस रोटते समय सुन्। है अजमेरका राजा पिथोराय ( पृथ्वीराज ) और उसका भाई दिईयर दानडाय ( गाय ) हिन्दुस्तान इस बाज़ाई साम दो ठारत सदार और तीन जर हाथी देकर भट! तरफ आ रहा है। यह शुन यह तय भटिंडेसे अरे व सरस्वती दट परके नाम के पार (१) Huatory vf India, by Elset, II, F 495-06 | F१२