पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३०३

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भारत चीन - सेना पाये हुने । तच पृ"वीराजने अपनी नाफा रुप इछ सुरफ गिमा चाहा । परन्तु शीघ्रतामें उसकी व्युहु-रचना बिगड़ गई और हा भड़क गये। अन्तमै पृथ्वीरान हराया जाकर कैद कर लिया गया।” | ताजुळम आसिरमें लिंग हैं,-- | "हिन सन ५८७ (वि० सं० १२४८-६० स० ११९१) में सुइसाम ( शहादौन ) ने गजनीसे हिन्दुस्तान पर चड़ाई की और राहार पतंच अपने रुद्र किंवामुलमुल्क इन मशाको अनमैरके राजाकै पनि भेजा, तया उससे कहलवाया कि 'तुम बिना उड़े ही मरतानई। अधीनता स्वीकार कर मुसलमान जो '। रूईनने अजमेर पहुँच वृत्तान्त छह सुनापा । परन्तु वहाँ जाने गर्ने से इसकी * भी परवाह न दी। इस पर सुलतानने अजमेरी तरफ झूच किया । अत्र यह नगर प्रतापी राजा कॉला ( पूवीरान ) को मिली तब वह मी अपनी असरय सेना लेकर सामना करनेको चला। परन्तु शुद्ध समान फतह हुई और पृश्वीराज कैद कर लिया गया । इस समें न एक लाख हिंदू मारे गये । इस विनयके वाद सुरतानने अगभर परा वहाँ मन्दिरको तुडवाया । उनी जगह मसनिध में मदरसे बनाये । अजमेरका राजा, जो कि सजाने बचको रिहाई हासिल कर चुका था, मुसमान से नफरत रहा था । व उसके सार्नश करनेको हाल वाइश हुको मालूम हुआ तच की शारिरी राजाका र काट दिया गया । अन्तमें अजमेरका नि यापथ ( पृथ्वीराज ) के पुत्रको सौष शुल्तान दिदी तरफ चङ्गा गया । चहेकि राजाने इसकी अधीनता स्वीकार कर विरान देने की प्रति की । वह बादशाहू गानीको लौट गया । परन्तु अपनी सेना केद्रपद (इमस्य) में छोट गया।” (१)E 10t, H asy bf hdas, Tal, II, P 200 (2) EtLot's, Pustoty of Ird:Vof IT, 2 212 216