पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३०६

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चोदन-वंश । पृथ्वीराजरासामें लिखा है -- * शहाबुद्दीन । पृथ्वीराज को अफर |जनी के गया और उसकी स्वं फुटवा कर इसने इसे कैद कर रखा । कुछ दिन बाद चंदवरदाईने वहाँ पहुँच सुलतानसे पृथ्वीराजे धनुर्विद्या-ज्ञान की प्रासा की ओर | उसे उस ( पृथ्वीराज ) की तीरदार्जीकी जाँच करने उद्यत #िया। इस अवसरपर पुराने चदकै संकेतसे ऐसा निशाना साधा कि तीर सुलतानके तालमें जा रूम और सुझतीन मर गया। उसी समय च एक रा लेकर पृर्दैगनके पास पहुँचा और उन दोनोंने उससे अपन। अपना गला काट लिया । इस प्रकार वि० सं० ११५८ की माघ ५ को पुराने इस असारे संसारसे प्रण 'या। उपर्युक्त तवारीखर्के लेवों पर विचार करने से स्पष्ट प्रतीत होता है कि पृथ्वीन वि० स० १२१९ में भारतमें ही मर गया है। और शहाबुद्दीन हि सः ६० ( वि० सं० १२६३) में अचान मासी ३ तारी–तदनुसार ई० स० १२०६ की १४ मार्च- लाहोरसे गननी जाता हुआ मार्ग में मयख़रों द्वारा मारा गया था। अत पृथ्वी*जसके उन लेखपर विश्वास नहीं हो सकता। इसने (पृशीराज़नें ) येवरमें कृन्नौजके रागा जपचन्द्रकी कन्या 'सारेगा हरण किया था । इसलियै फौजके शहरी और गुजरातके सोलंकियों ने मिलकर शाहनुद्दीन मोरीको इससे लडनेको जमा यौ । इसने उ बार शहाबुद्दीन हराया था और ३ धार उसे कैट के भी छोड़ दिंया ध ।। | पृथ्वीराज मारतक। न्तिम राजा पी | यह बड़ा वीर - परफम या, परन्तु मारतीय नाके पिसके ईष्र्या और ईपके कारण इस (1) Transactions of lbo Reyel As Sad of Gro, Br. iralal Yal , p 147-E.