पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३१४

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भारतके प्राचीन राजकंटाप्रबन्धकोशी बंशावलमें भी इसे मालकी विनंता लिखा है । आगे चलकर मुम्भीर-माछाप लिदा है कि, । जुन सुटताद गर्भसे लड़ रहा था तब बाग्मने भी सेना एकचित कर थैमर पर चढ़ाई की । तीन महीनेतक चिरे रहनेके बाद मुलमीन किला हूँ भाग गये और किले पर ब्रारमटका अधिकार हो गया । इसने १२ वर्ष राज्य किया और इसके बाद इसका पुत्र जैत्रसिंह गद्दी पर द्रा । वाग्भटनै मालवे कितने अंशपर अधिकार किया था, न तो इसका पता चलता है और न यही पता चलता है कि इसमें यहाँके । नि जिाको मारा था । परन्तु इराना, तो अपये वृह सकते हैं । इस समय माळवेके मुख्य माग ( ४रि।, ग्वालियर आदि ) पर परमार वैदपाल देबका राज्य था र मगर पर कछवाहा-देशः पापी राजा नाही वा अधिकार या, तथा उनके पछे उनके घंशन नहाँकै अधिकारी - हुए थे । जातः 7भटनै अदि मावे कुछ भाग [लपा भी होगा तो बहुत समय तक वह चौहान के अधिकार में नहीं है। होम्य । । तबकाते नासिरीसे पाया जाता है कि, “ शम्सुद्दीनके मरने पर हुन्वने रणभरपर घेरा डाला। उस समय सुल्तान रजिया (वैनम ) ने मलिक कुतबुइनको वहाँपर भेगा । परन्तु यहीं पहुंचकर उसने किले अदरक मुसलमान फजको बाहर घड़ा लिया और क्लैि छोड़ दिल्ली लौट गया।" ६टना ३० स० ६३४१ वि० स० १२९४-३५ स०१३३७ ) में हुई थी । अतः उस समय यादेबने रणथंभोर पर अविकार कर लिया होगा । | फरिस्ताने लिंावा है कि, " कुछ स्वतंत्र हिंदू राजाओंने मिलकर वार्थभरकी किल्ला घेर लिया था । परन्तु इजिया बेगम के भेजे हुए हेमा-- पति कुतदुद्दीन हसनके पहुंचते ही वे लोग भले गये । " . (१) BIrAF% Fariahita, at 1, I', 210,