पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३२४

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भारत प्राचीन राजवातरीय फरिष्ठाम लिंखा है

  • f० सं० ६९९ (३० स० १३५७-६० २० १३०० ) म अलाउद्दीनने अपने माई अलर ऑर मन्त्री नसरतचा रणयभार पर मात्रमा करने को भेजा । नसरतमा क्रिके पास मजनको चला हुए पत्रके लगने से मारा गया । हमर देवने भी ३००००० फौजकै साई कलेसे बाहर आ तुमुल युद्ध किया । इसपर उलगख़ाकी बड़ी भारी हानि उठाकर होना पड़ा। जब यह खबर सुलझानों मिली तब वह स्वय रणर्थर पर चढ़ आया । हिन्दू भी घड़ी चौरल्लासे लडने लगे । प्रतिदिन मवनसेमाको सार होने लगा। इसी प्रकार लइके हुए मुक वर्ष होने पर भी जन सुलतानको विजयको कुछ भी आशा नहीं दिखाई दा, तब उसने रेतसे भरे बोरोको सलै पर रखवा कर किलेपर बनेक लिपे जानें बनवाये और उस रास्तसे घुस मुसलमानों पर कब्ज़ा कर दिया । हम्मर सकुटुम्ब मारा गया। किंमें पहुँचनैपर सुल तानने मुगलसर्दार अमर महमदशाहको घायल हालत पड़ा पाया। यह सदर बादशाहसे बागी हो हम्मीरदेव पाम रहा था और इसने किलेकी रक्षा में पन शरणवावाको अच्छी सहायता दी थीं । पादने उससे पृछा कि यदि तुम्हारे घावा इलाज करना जयि हो तुम किंतनु सान मानोगे 1 यह सुन प्रवन बरिने उत्तर यिा कि मैं तुम्हें मार तुम्हारे स्यानपर हमारके पुत्रफे राज्यका स्चम बनानेकी कोशिश करूंगा। यह सुन सुलतान बहुत कुछ हुआ और महमदशाहको हाथों वैसे कुचलना डाळा । इस युद्दमें इम्भारफा मश्वन २१ममल सुलतानसे मिल गया था। परन्तु किला फतह हो जाने पर सुलतानने मित्रों सात जसे कत्ल करनेकी अज्ञा दी और कहा कि जो आदमी पर मसली स्वाक्का ही सैराह न हुआ यह हमारा कैसे होगा । इसके

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