पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३२८

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छोटा उदयपुर और बरियाकै चाहाने । छोटा उदयपुर और चरियाके चौहान ।। राधेमोरपर मुसलमान का अधिकार हनके समय हुम्भारके एक पुत्र मी था। यह बात तारीख फरिश्ता मट हे हैं। शायद यह मुनशेती और चला गया है । | गुजरात में मान? इमरण पावसे वि० स. १५९५ का एक शिलालेख मिला है। यह चौहान जासहदेव समयका हैं। इसमें लिखा हैं:| 4 चौहान वश में पृथ्वीरान आ बहुत राजा हुए और चहान - हमारवेद वैशमें क्रमशः राज्ञा रागदेव, चांगदेब, चाचंगदेव, सौमदेव, पाहणसिंह, जितफण, कुरावल, वीरधवल, सवराज (विराज ), थिच्दै, कभूष, राजेश्वर र राजाधिराज पथदेिश हुए । | इस प्रकार उसमें १६ राजाकै नाम दिये हैं। हम्मरका देहान्त । atख अलाईके अनुसार यदि वि० स० १३५८ में मान लें तो बे० सम् १५२५ में जयसिहदेवके समय उस घटना हुए १६५७ वर्ष हो चुके थे। यदि इन वर्षको १६ राजामें यौटा माय तो प्रत्येक राजाका राज्यका गरी १६ बर्य अवेगा । राभत्र है उक्त छेसका रामदेव हम्मकदेयका पुन र हो । इसने रार्धमोरसे गुजराती तरफ जाकर पवेगिक पास पानै नगर घुसाया और वहां पर अपना राज्य कायम किया। ही नगर याद में भी इनकी राजधानी कहा ! हि० सं० ८८५, की ५ जिल्काइ (वि० सं० १५४१= ई० सः १४८५ ) के गुजरात के चावशाह सुरसान महमूदशाह ( बेरा ) चैपनिरपर चढ़ाई की। उस समय वहाँके चौहान राजा जयसिंहने जिसकी पता बिल / करते थे, अपनी रानियों को अग्निमें जलाकर सुलठानके साथ घोर संग्राम किया । परन्तु अन्त पापड़ के जानेपद