पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३३३

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मारतके प्राचीन राजवश नाडोल और जालोरके चौहान । हम पढ़े दाम्पतिराज ( प्रथम ) के बर्मेनमें लिख चुके हैं कि उसके दूसरे पुत्र लक्ष्मणराजने नाडोल ( मारवाह ) में अपना अलग राज्य -क्यापित किया था। १-लक्ष्मण । यह गारपतिज प्रयमको दुसरा पुन या और उसने भरसे आप नाडोलमें अपना राज्य स्थापित किया। वि० सं० १०१७ (६० १० १६० ) में सोलंकी राजा मूजने गुजरात के अन्तिम चावड़ा जा सामन्तसिंहको मारकर उसके राज्य पर अधिकार कर लिया था । सम्भय हैं उसी अषसमें लक्ष्मण मी नाहोल पर अपना कब्जा कर लिया होगा। | इसका दूसरा नाम राव लास भी था और इसी नामसे यह राजपूताने में जबतक प्रसिद्ध हैं। । कर्नल दौड़ने अपने राजस्थानमें छेवा ।' (के नाडोलसे उक्त लासपाके दो छैल गेले थे। उनमें से एक वि० सं० १०२४ वा और दूसरा वि० स = १०३९ का था । ये दोनों व उन्होंने रायल एशियाटिक सोसाइटीको मैट किए थे। उनमें से पिछले में लिया था कि-" रान लावणसी वि० सं० १९३९ में पाया ममर के दरवाजैतक वा वसुळे करता या और उस समय मेवाड पर भी उसका अधिकार का । " परन्तु यह बात सम्म प्रतीत नहीं होती। क्योंकि एक से जम समय नाडोलके निकट ही हुई गाँवमें राका स्वतंत्र राज्य या और गोडयाद्धका बहुतसा प्रदेश आइके परमारों के अधीन था । इससे प्रकट होता है कि श्रण एक साधारण राजा या । दूसरा उस समय पाटण ( गुजरात ) Tu Pajuthas, VOLI. T 139 ३४