पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३३७

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भारतके प्रार्थीन राजधेश उसका चचा आणहि राजा हुआ । इसने भी उपर्युत अनावडेके भीमदेवको हराया, बलपूर्वक सांभरपर अघिकार कर लिया, भाजके सेनापति ३६४ाधीश } को मारा और मुसलमानोंको हराया। | वि० सं० १९७८ में राज्यधिंकार पाते ही गुजरात के चौलुक्यात मदेवने विमलशाह नामक वैश्यको घंधु पर चदाई करने की आज्ञा दी | थी। उस समय शायर मीमदेवकी सेनन नाडोल पर if आक्रमण किया होगा { परत सुधके लेख! मागे चलकर लिंग्दा है: अ मूभूत तन्यस्त बा( या प्रसाद भौमइमाभुचरणयुगीननव्याञ्जत य ॥ पीडामात( लाया मोचयामास कारा मान्डूमीपतिमपि तय गदेरामिषान ३३ १८ ॥ । अर्थात् अणच्चिकै पुन घालप्रसादने भमि चरण पहनके बह से उसे दबकर कृम्णको उस कैदमै छुइया दिया । परन्तु इससे प्रकट होता है कि वासाड भाँनका गुमन्त था और सम्मेवे । के अगढ़पाके उपर्युक्त अक्रमण के समय ही उसे अन्तमें मी अभी नता स्वीकार करना पढी छ । | प्रबन्घथिन्तामणि ज्ञात होता है कि न स समय भीम थकी तरफ यस्त था उस समय भायाधीश भोजके सेनापति कुलचन्द्र चूिके परमार राजा धधुकी सहायता अनवटैपर दाई की थी और उस नगरसे नष्ट कर विजयपत्र लिया लिया था। का बदला लेने लथे । भन्ने अन्तर्मय जब चेदी के लव राजा ने माल्पर चढ़ाई छ, तर भीमने भी उसी कीय दिया । अतः मृम्मच है कि f/मके सामन्त्री हरिपतसे - हेछ भी उग्र युद्ध में सम्मिलित हुआ होगा और यहीं पर्युक्त सेनापति। मीरा होगा। १८८