पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३४२

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नाज़ ओर जालोरके चोहान । || [ समस्त ] राजायबिरानंतमहाराजाधिराजश्रीज [य] सिंहदेकरूयाणवैजयराज्ये तत्पः [६] पद्मपनि [नि महाराज अभ्यः इससे प्रकट होता है कि इस समय आसपास नाडेल चौहान ने सोफियोंकी अधीनता पूर्णतया स्याहार कर ली थी। क्य कि यगि पद्धले राजान्ह समयले हीं मारवाड-३ चौहान जलि वा के सौलांकैयौं कृ लड़ते और कमीं उनकी सहायता से आये थे, तथापि लेंस में पहले पहले उनकी अवनता इ उपर्युक्त लखम स्वीकार की गई है। उपर्युक्त कॅरोमैंसे पहला और दूसरा तो सेवाढीसे मिला है, तथा तीसर३ वालीसे 1 इसी मृत्यु वि० सं० १९०० में हुई होम, क्यों कि इस वर्ष इसके पुनका भी ले मिला है। १३ कइकेन । य, अश्वराजा पुन ४ ।। | सकै समयका संवत् ३१ का एक रा मिला है। काजके पिता अश्वराजने पूर्णतया चंक्यी अधीनता स्वीकार कर ली थी । अत यह भी सिद्धराज जयसिहफा सामन्त था । इस लिये या उत् मयत ३१ को 'सि सवत' मान लिया जाय, तो उस समय वि० स० १२८१ हो । ६ पहले रायपार वनमें दरा चुके के इसुङ ः वि. स० ११८५ ( ३० स० ११२६ } से स० १२१२ (६० स= ११४५ ) समकै मिले और अ न गार के पुत्र कटुराग ६ [१ ११६ (३६ १६ १११*) में छः स १२० १ : ११८ ११४३ ) तक मिले हैं। इन को देर । उत्पन्न हा है कि एक ही समय एक Fi रथानपर ह । पछि ३५