पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३४५

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भारतके प्राचीन राजबंश लिया है। उपर्युक्त घट्ना दि० १२ १३६५ ( ई० स० ११४८ } के |रापास हुई होगी । हम पहले विसरात्र ( वीर ) चतुर्थ चनर्म लिन दुके हैं कि उस माल्के चालुक्याशा कुमारपालका पक्ष लेने | झारण नाल र लोरपर हमला कर उन्हें नष्ट किया य ।। आगी झा नाम अलदेव था। यह राष्ट्र सहुलकी कन्यः थी । Gि० १० १२२३ (३० स० ११६४ ) का इसका एके दिलले सासे निला है । इस समय इस पुत्र केव्हण राज्यको अधेिकारं पा । अनलदेवी तीन पुन ये-हण, जसिह और कीर्तिपाल । वि० सं० १२१८ (६० स० ११६१ } आबश सुईि १४ झा - *हणका एक ताम्रपत्र नाडोरी मिला है। | इसने अपने तरै पुन कीर्तिपाल नाडलाईके पास के ११ गांव ये थे । इसका भी वि० स० १२१८ अत्रण यदि ५ का एक वन नाडोलसे मिटा है। हम उपर : २५० १२०९ ३ आणतर्फ लेशका उस घर के है । उसी १-- वी र १८ व पनि हिंसा है:--

    • दस्सीय महारा[आणदेवस्प] श्रीमहाराजपुनश्चलणदेवमेतत् ॥ महाराजपुगनसिप [म ]न ।”

इस अनुमान ता : * आहदेयके समय सराकै दोन पत्र राज्यका झार्च किया करते थे । इ% मन्दीका नाम गुग था । यह परचार भएन भरपरका पर था । १५ फेल्हूण । यर अगर पुन को उत्तराधिकारी था। ( } ज्याफा ; ५ 354 et Trut Ketkar'• Appendix | I. 1 1,