पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३४६

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राष्ट्रॉल और आरडोर चौडाइ ! सूध पद्दा हैरानै प्रक? आता है कि रानै मिलेम नामक राजाको हुरा, सुरु हो गरास्त किया और मेटा मन्दिर बनेको कारण लगाया । इस लैपफा निलिम सम्शतः ईगिरि। पादपोजभिलिम हो । तुरुप से मुसलमानों का सम्पर्य है । तास फरिभूतमें छिपा हैं । ** हिजरी सन ५७४ (वि० सं० १२३५= ई० स० ११८८) में मुहम्मद यो। ऊच और मुलतानी तरफ गया । यहाँसे रेगिस्तान रास्ते गुजरातकी तरफ चली । जरी रामय भीमवैवने उराडा मा रोकार उसे ।" सम्भबत: इस युद्ध में केंड्या और इसका गाई कीर्तिपाल भी लड़े होगे। उपर्यु सोमेश महाबका मन्दिर छिराई १ मारवाड़} में अनाननं विद्यमान है । इसके समय बहुतसै रा मारलाइसे मिले हैं। ये पिं० सं० १२२१ १ ० ० १६६४ ) से दिए सं० १२३६ ( * ० ११७५ ) तन्न है। परन्तु सीरोही ज्यिों पाई गवसे एक ऐसा लेय मिला है, जिससे वि० सं० १९४९ ( ३० भ० ११९२) तक इसका है।ना प्रकट होता है। यह भी चालुक्यका सामन्त था । इसी रानियों का नाम पहियोधी र चाहदेवी था। १६–जयतसिंह । यह शबढ़ा पुत्र और उत्तराचिंकारा था । इस रामय दो शिलालेख मिले हैं—पहल वि० सं० १२३९, ( ई० सं० ११८५ ) फा भीनमालसे और दूसर। वि० सं० १२५१ { ई० स० ११९४ ) का सादड़ी। पहले केपमें इसे 'राज-पुत्र । लिंम्व है और दूसरेमें * महाराजाधिराज'। (1) Bngs' Fatleta, Yol. I, P. 110 (२) Bp. Thd. Vol XI, P. 13. (३) 1 ११७ ts., Vol. I, P.474,