पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३४७

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भारतके प्राचीन राजया तात्र में फॉरेइनामें हिरा है - युद्धमें ढ़ग हुए घाव ठीक हो जाने पर इतनुनने महराले को घेरनेपाली फौजका वा गोर डोलके रास्ते पीछा किया । " यहाँ पर बालीस पालीका तात्पर्य समझना चाहिये । ताज़लम आमिरमें लिखा है -- ** जप बर पार्टी और नाडोलके पास पहुँचा तो वहाँ के किले उक्त वाली मिले, क्योंकि मुसलमानों को देखते ही वहाँकै टोग माग गये थे ।” इससे गनुमान होता है कि कुछ समय में उत्त प्रदेश चौहानको छोडने पड़े थे। | आबुपर्नतपरके चलेश्वर मन्दिरसे एक लेर मिला है। उसमें दिया है ॐि गुहिल राना जैवसिंहने नाट्टलचे नष्ट किया और तुरुङ सेना हरया । यह जैत्राह बि स १२७० ( ई० स० १२१३) से १३०१ १६० स० १२५२) नई विद्यमाने यो । इससे प्रष्ट होता है । कुतुबुद्दीन जन पूर्वी मारवार पर अपना अधिकार कर चुका या तत्र नैवाहने नाडोल पर हमला कर मुसलमानों को हराया होगा ! वि० सम् १९८५ र १२८३ ॐ दो टेप वाली परगनेक ना गर चेलार वसे मिले हैं। इनसे प्रकई होता है कि इस समय बीच गोरवाह पर वीसलदेव पुत्र धाधलदेवका राज्य था । पयपि यह पाएमानवशी री धा, तथापि प्रो०० अरि० माद्दारकरका अनुमान है कि यह केव्हा वैशज नहीं था । इसके उपर्यफ वि० सं० ११ | ३ ले में यह भी प्रकट होता है कि यह चाक्य अनर्यपा" ११ भीमदेव दीपक सामन्त था । . ) Dreg' Faritats To IP IPO () Toto tiritary or Thd al, II, P 9 30 { } JI # Edev IT,P 18 () Pros Hop-Itch at IAL. role for 1905 P D -80