पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३५२

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ज्ञालोर सोनगरा चौहान ! प्रकट होता है कि कीर्तिपालने परमासे जालोर छीना था | मृता नैणसी के लिये इससे भी इस चातकी पुष्टि होती है। | २-समरांसह । यह फी तिपालका बडा पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसके समयके वि० सं० १२३९ (६० स० ११२ ) और १२४२ | १३० १० ११८५ ) के दो लेन्स जालौरो नि । | पूनकि सूघाके लेरासे प्रकट होता है कि इसने अपने पिताके प्रारम्भ किये दुई कार्यको पूर्णतया समाप्त किया और समरपुर नामक नगर चलाया । इसने चन्द्रमाके समय सुवर्णसे तुला-दान म किया था । वि० सं० १२६३ ( ६० स० १२०६ } का चालुक्य भीमदेव द्वितीयका एक लेख मिला है। इसमें उक्त ममदैवी ची लीलादेवी को चाहु राण समरसिएसुता –चौहान समरसिंह कन्या किंवा है ।। ३-उदयसिंह । यह समरसिंहका छोटा पुच और मानव सिंहका छोटा भाई था। यूपर्वतसे मिले चिं० १० १३ के एक लेख में मानवसको समरसिहका पुत्र और उदयसिहका अंडा भाई लिखा है । परन्तु मानवका चिंघ वृत्तान्त नहीं मिलता। | सुधाके खमें लिखा है कि, यह नल ( नाहौल )जवालिपर, ( जालोर }, मागहुपपुर (मप्र ), घामटमेरु ( पुराना बाडमेर) सूराचंद्र ( राचन्द्-मार ), राटदद ( गुढा पासका प्रदेश }, सैह, पसैन्य ( रामसेन), मिलि ( मीनमलि ), रत्नपुर ( रतनपुरा) र सत्यपुर ( सुचौर ) ह्या अधिपते या । Ind Apt Yol VI, p 10$ (7) Id Ant Vol IXP 80 ३०३