पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३५५

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भारतकें प्राचीन राजधशनरफ होनेको बाध्य किया ।" इनमें उदयसिंह उपर्युक्त चौहान रामा उदयसिंह ही होगा। सुधा के लेंलमें आगे चलकर इथे 'सिंघुरानान्तक' लिखा है। अत या तो यह शब्द सिन्धदेशकै राज्ञा लिये लिया गया होगा या यह उन नाम॥ राजा होगा, जिसके पुन मृइ घचेंल लवण राज्य समय संभात पास वस्तुपालने हराया था। | इसके समयको वि० ऋ० १३०६ ( ६० स० १२५६ ) एक ने भीनमालमें मिला है। रामचकृत निर्भयमब्यायोग एक हप्तति प्रतिमें लिखा है

  • संवत् १३०६ पर्षे भावावई ६ रवाश्चै श्रीमहाराजकुछश्रीउद्यासहइथल्यापाविज पराउँथे । ” ।

इससे स्पष्ट है कि उपर्युक्त उद्यसिसे भी चौहाने उइयांना ही तात्पर्य है। निवृत्तने अपने विवेकृविकासके अन्तर्मे लिखा है कि उसने उक्त अन्यकी रचना जावालिपुर ( जार ) के राजा उदयाफे रामय के । | उदयसिंह एक तीसरा युर और भी था । इसका नाश घाटदेष ध। उदयनिके एक कन्या भी थी। इसी विवाह धौडका ( गुजरातमें ) के राजा वीरजके वई पुत्र वीरमरी हुआ । । निकराचा प्रपन्धचिन्तामणि और गद्य वस्तुपाल-चरनमें लिखा है कि चतुपाने बरमके छोटे भाई वसर को गद्दीपा बिठा दिया । इसपर (') Dr T६६९५09 TIFI report fB85-80 }, Apr 1 () Dr Bhandarker's catch tat Sozit for 1987हैं।, F152 (1) ॥ F Ful I, # 16, ३६६