पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३५६

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जालोरके सोनगर चौहान ! वामको भार अपने पार उदयसिंहफी शरण हैन पी । परन्तु वहाँपर वस्तुपालके आदेशानुसार वह मार डाला गयो । चतुविशति प्रबन्घसे भी इस बात की पुष्टि होती है । परन्तु यह वृत्तान्त अनिवार्योक्तिपूर्ण प्रतीत होता है । हो, इतना तो अश्य ही निश्चित हैं के वीरम शालोरमें मारा गया था। | उद्यसिएको समयके तीन शिलालेख भनमालसे और भी मिले हैं। इनमें पहला वि० सं० १२६२ आश्विन ३ १३ का, दूसरा वि० स० १२५७४ भाद्रपद सुदि ९ का और तीसरा चि० स० १३०५ आश्विन सुदि ४ का है। | ४-चाचदेव । यह उदयसिंहा बडा पुत्र और उत्तराचिंकारी या । | गुघा पहाडीके लेस इ ग़जरातकै गज्जा धीरम मारनेवाला, छात्रशल्यको नीचा दिवानेवाला, पातुक और सम नामको पुरुषों को हरानेमला और नेहराचल पर्वतके लिये वन्न सुमन लिखा है । वीरमके मारे जानेका वर्णन हम उदयसिंहके इतिहास में लिख चुके हैं । सम्मड हैं कि वस्तुपाकी साजिशसे उसे उद्यहि समय चारगदेवने ही मारा होगा । | धमके लेपमें' शल्य नामक राजा उल्लेख है । यह लपसमा शत्रु या ।। डी०आर० भाट्टारकरका अनुमान है कि पानुक सँस्कृतके प्रताप शन्दा अपभ्रश है और चाधिगदेयके भतीजे ( मानवसिंह पुत्र) का नाम प्रतापसिं? या, तथा यह इसका समकालीन मी या । ( Icd Apt, Yol VI, p 100, ) Ind Ant Vol I, P 25, ३६५