पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३५७

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भारतके प्राचीन राजब संगसे सुगना तात्पर्य होगा। यह वरपरका मारा और वन ( जूनाग पास ) का रा था । इसके समयकै ५ लेन मिले हैं। इनमें सबसे पहला विम स० १३११ | कृ पुल्लिावंत सुंधा माता मन्दिरवाला में हैं। दूसरी ३ि० सं० | १३६क्का है, तीसरा वि स १३२८ मा चौया वि० १३३१ का | और पाँच fan | १३३४ का । इस अन्तिम लेपमें इसके दो माईयों के नाम दिये हैं—बाहहहै और चामुण्डराज । | अजमेरकै अनायबघरमें एफ ई रक्या है । इसमें प्रकट होता है। कि गागदेव की भूमि मदेबी और कन्या का नाम रूपादेवी | था। इu (रूपादेव ) का बिनाह ना तेजसिंह के साथ हुआ , | जिससे इसके क्षेत्रासह नाम पुत्र हुआ। ५-सामन्तसिंह ।। सम्मत सह नाचिदेव का पुत्र और उत्तराधिकारी था। वि० सं० | १३९ से १३५३ तक हैमके लैंप मिले हैं। इसके समय इस बाड्न रूपादेखीने (३० स० १३४० में(जालोर परगन} युवा गाँवमें एक वान वनवाई थी। ६-कान्हड़देव । सन्मयत: यह सामन्तहका पुत्र होगा। वि० ० १३५३ के जाल में मिले मामन्तासिए समय हेरमें हिंसा है-- " भ्रमपनि नयेह महारागकुटीसामन्तहिकल्याबिंजयराज्यै तत्पदपग्रेज़ीवन रा ] फाग्दे वान्यधुग [ ] १ ) }} | } | }, " १३) EP Ind, Yal, 4, F है,