पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३६०

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जालोरके सोनगरा चौहान । पी। नई राजा सीतदेवने देपा कि अप अधिक दिनतक युद्ध करनी कविन हैं, तब उसने नेकी बनी हुई अपनी मूर्ति जिसके गले अ६नतासूचक जंजीर पी घी और सी हाथ आदि मेटमें भेगका में रना चाहा। अलाउद्दीनने उक्त वस्तुयें पार कर कहलाया कि जनतक म स्वयं कर वश्थती फार न करेगे तमतक कुछ न हो । यह सुन राजा स्वयं हाजिर हुआ और उक्त फिला सुनानकै अपन कर दिया । सुलतानने उक्त किले को लूटने बाब साली फिला तलदेवको ही सौंप दिया। परन्तु उसके राज्यका सारा प्रदेश अपने सारांको दे दिया। यपि उक्त तयारीके लेससे सीतलदेयके का पता नहीं लगता है, तथा मूता नैणसी यातमें लिंखा है कि वि० सं० १३६४ में यादशाह अल्लाउद्दीनने संवाने के किलेपर कजा कर लिया और चौहान सीतलं मारा गया । मूला नेमकी ख्यातगे यह भी लिखा हैं कि, तू ( कपाळ ) ने परमार कुंतपालसे जालोर और परमार वीरनारायण सिवाना लिया था । अतः मिवानेका राजा सीललदेव चौहान कीतू ( फीतपाल ) का ही वंशन होगा । | ७-मालदेव ।। मूता नणसने अपनी रूपान्नमें छिपा हैं कि, "जिस समय अलाउद्दीनने जालोरके किले पर आक्रमण किया, उस समय कानाड़पने अपने पैशाको कायम रखनेके लिये अपने भाई मालवदेवको पहलेसे है। किलेसे बाहर भेज दिया था। कुछ समय तक यह इधर उधर सूटमार करता रहा परन्तु अन्तमें बादशाह के पास विछमें जा रहा। बादशाहने प्रसन्न होकर रावल रत्नसिंहसे छीमा हुक्षा चित्तौड़का किल्ला और उसके आसपासका प्रदेश मालदेव सौंप दिया 1 साद घर्पत उक्त किला और प्रकाश इसके