पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३६८

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चन्द्रावतीके देवरा चौहान । १३४३१ ६० स० १३१७ ) के दो लेख और भी मिले हैं। ये आबूपर विमलशाके मन्दिर में लगे हैं। इसने अकलेश्वर मन्दिरका जीर्णोद्धारकर एक गॉव उसकै अर्पण किया था । इसके दो पुत्र थे-तेजसिंह और निष्णा । ५-तेजसिंह । यह लुढ़का बझा पुत्र और उत्तराधिकारी था । इसके समयंक ३ शिलालेख मिले हैं। पहला वि. सं. १ ३७८ ई० स० १३९१ ) की, दूसरा वि० सं० १३८७ (६० स० १३६१) न और तीसरा वि० सं० १३९३ (६० स० १३३६ ) की । इस्रने ३ गांव अबू पर वशिष्ठ प्रसिद्ध मन्दिरको अर्पण केये थे। ६-कान्हड़देव । यह तेजसिंहका पुञ और ईत्तराधिकारी था। , इसके दो शिलालेख मिले हैं। इनमें पहला वि० स० १३९४ १३० ३६ १३३७) झा है । इसमें मफट होता है कि इसके समय भानू पर मसिद्ध वशिष्ठमन्दिर का जीर्णोद्धार हुआ था । दूसरा वि० सं० १५०६ (६० स० १३४३) की है। यह आबू पर अचलेश्वर मन्दिरमें क्री इसकी पत्यरकी मूर्ति नीचे खुदा है। इसके वैजने सारा नगर बसाया था और अन सक भी यहॉपर इसी शाल्लाका राज्य है । रायबहादुई महि राशर ओझाने हनु शाखाका विस्तृत वृत्तान्त अपने 4 सीरीही राज्यका इतिहास / नामक पुस्तकमें लिखा है ।