पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
क्षत्रप-वंश
 

की थी तथा आकर (पूर्वी मालवा), अवन्ति (पश्चिमी मालवा), अनूप, आनत ( उत्तरी काठियावाड), सुराष्ट्र (दक्षिण काठियावाड), श्वभ (उत्तरी गुजरात ), मरु ( मारवाड), कच्छ, सिन्धु (सिन्ध), सौवीर (मुलतान), कुखुर (पूर्वी राजपूताना), अपरान्त (उत्तरी कॉकन), और निपाद (भीलोंका देश) आदि देशों पर अपना अधिकार जमाया था। इसने योद्धय (जोहिया) लोगों को हराया और दक्षिणके राजा शातकर्णीको दो बार परास्त किया । परन्तु उसे निकटका सम्बन्धी समझकर जानसे नहीं मारा। शायद यह राजा (पातिधीपुत्र) पुल मावी द्वितीय होगा, जिसका विवाह इसी रुदामाकी पन्यासे हुआ था। रुददामाने अपने आन और मुराष्ट्र के सूनेदार सुविशास द्वारा सुदर्शन झीलका जीर्णोद्धार करवाया था। उक्त समयकी यादगारमें ही पूर्वोक्त लेख भी खुदवाया था। यह राजा बड़ा विद्वान और प्रतापी था। इसे अनेक स्वमेवरीम राजगन्यानि वरमालायें पहनाई थी । इसकी राजधानी मी उफोन ही मी। परन्तु राज्य-प्रबन्धकी सुविधाके लिए इसने अपने राज्यके भिन्न-भिन्न प्रान्तोंमें सूबेदार नियत कर रखे थे। ___ रुददामाके केवल महाक्षत्रप उपाधिवाले चाँदीके सिक्के ही मिलते हैं। इन पर " राज्ञो क्षत्रपस जयदामपुत्रस राज्ञोमहाक्षपस ददामस" लिखा होता है । परन्तु किसी किसी पर “...जयवानपुत्रस..." बजाय "...जयदामस पुत्रस...." भी लिखा मिलता है।" इसके दो पुत्र थे । दामजद और स्वासह । सुदर्शन झील। उपर्युक्त झील, जिसकी यादगारमें पूर्वोलिखित लेख खोदा गया था, जूनागढ़ में गिरनार-पर्वतके निकट है ।