पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/७९

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मारतके प्राचीन राजवंश रावत् चलाया था, जो कैचरी संवत्झे नाम से प्रसिद्ध य । परन्तु उसके पलानेवालें राग मामा, कुछ पता नहीं गया । उक्त संतु बि० ॥ ३०६ आश्विन शुक्ल १ से प्रारम्भ हुआ और १५ वीं शताब्दी अन्त तक यह चलता रहा । इल्युरियोंके सिवाय, गुजरात ( लाट ) है। चोदुम्य, गुर्जर, सैन्ट्रक और कूटक यं राजाओंके ताम्रपत्र में भी यह सम्बत् लिबा मिठता है। । हैहयका शृलाबन्द्ध इतिहास वि० सं० १३० ३ असपासचे पिता है, और इसके पूर्वका असंभवशात् कहीं कहीं निकल जाता है । ॐ है--वि० सं० ५५० के निकट दक्षिण ( गट ) में चक्पनि अपना राज्य स्थापन किया था, इसके लिये येवूरके लेखेमें लिखी हैं कि, मुक्याने नल, मार्य, कम्त्र, राष्ट्रकूट और कलयुरियासे राज्म छना था । अहिलेके लेखमें चौंक्य राजा मंगल ( श० स० ५१३-५३२=विः कः ६४८-६६६) ॐ वृत्तान्त लिया है कि उसने अपनतलवार वलसे युद्धम क.चुरियोंकी भी छीन ली । यद्यपि इस छपमें कलचुरि निका नाम नहीं है, पान्तु महाके स्तम्भ पर लै बरका नाम बुद्ध और नरके ताब उसके पिता का नाम शकगण लिखी है। सखेड़ा ( गुजरात ) ॐ शासनपर्नमें नो, पल्लपति ( भङ) निरहुड्के रौनापति शालिका दिया हुअा है, शङ्करमणके पिता का नाम कृष्णराज मिर्ज़ा है । बुद्धराज और शगया के राजा थे, इन्की राजधानी जबलपुरकी तेवर (त्रिपु), और गुजरातका पूर्वी हि मी इनके हैं। अधीन था । अतएत्र सबैङ्का ताम्रपत्रका शहाण, वैदीका ज्ञा शङ्का ही या। । (1) lol, Ant VoI, VIII, 1, () EP, lud VI, P 204. ( ) Lid Aot vol XIXP 16(x) Ind Ant vol VII, P 161 १५) Er Ind Pt. T F .