पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

हैहयदेश। चालुक्य विनयादित्यने दूसरे ई राजवंशियोंके साथ साथ हैयकों भी अपने अधीन किंया था । और चौलुक्य विक्रमादित्यने ( वि० सं० ५६५३ ० ७९०) हैंयशी इञिाकी दो वाहनोंसे विवाह किया भा, जिनमें बडीका नगि लोकमहादेध और टीका त्रैलोक्य महादेवी था जिससे कीर्तिवम १ दूसरे ) ने जन्म लिया । उपर्युक्त प्रमास सिद्ध होता हैं ।६ वि० सं० ५५० से ७९० के यीच, या ज्य, चौंक्य राज्य उत्तर में, अर्थात् चेदी और गुजरात ( झट} में था; परन्तु, उस समयका शृखलाबई इतिहास नहीं मिलता। केवल तीन नाम कृप्याराज, शङ्करगी और बुद्धराज मिलते हैं, जिनमें से अधिम राना, चौक्ष मगठीशका समकालीन था । इस लिये उसका वि० सं० ६४८ से ६६६ के बीच विमान होना स्थिर होता है । यद्यपि हैहयोंढे राज्यका वि० सं० ५५० के पूर्व का छ पता नहीं चदन्ता, परन्तु, ३०६ में उनका युवतन्न शम्बत् पाया | सिद्ध करता है कि, उस समय उनका राज्य अवश्य विशेष उन्नति | पर था। १-कोकल्लदेव । | इयों के जॉर्म कोकवदंबसे बंशावली मिलती है । बनारसके दोनपमें उसको स्रवेशा, धर्मामी, परोपकारी, दान, योगाभ्यास, तथा भोग, बल्लभराज, चिनकूट मा श्रीहर्ष और शङ्करगण निर्भय करनेवाला लिसा है। और चिल्हारीके शिलालेखमें लिखा है कि, उसने सारी को जीत, दो कीर्तिस्तम्भ खड़े किये थे-दक्षिणमें कुणाराज और उत्तरमें मौजदेव । इस डेससे प्रतीत होना है कि उपरोक्त दोनों राजा, कोकलदेव समकान ये, जिनकी, शायद उसने La Ant vol yi P 12 (?) Et, Iud i TI, T. (1) Er Ind rol ] 1.905 ( 2 ) ET Ld To Z P 320.