पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८३

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भारतकै मात्रीन राजवंश फर्णाट, लाट, फार्मर र लिंगकी स्त्रियांचे विलास करनेवाला, तया” बने देश विनय करनेवाला, लिखा है । परन्तु विजित देश या राजा का नाम नहीं डिपा है । अतएव इसकी विजयवार्ताक्षर पूरा पचान नहीं हो सकंचा। केयूरवर्य र चन्देलराजा यशोवर्मा, समकान थे । खजुराहो के लेखसे पाया जाता है कि, यशोपर्माने असंख्य सैनाबाले देके राजाको युद्ध परास्त किया था। अतएव केयुरयर्षका यशोदम से हारना संभव है। | इसकी रानीका नाम नहला या । उसने चिल्हारी नहलेवर नामक विका मंदिर बनवाया, और घटपाटक, पोप( बिहारीमै ४ मछ) नागवल, खेलपाट (सैलवार, विहारीसे ६ मील) वौद्दा, कज्जाहालें और गानुपाड़ी गाँव के ऊर्पण क्ष्येि । तया पधनावि प्राध्य और दशि शिंप्स, ईववि नामक तपस्व निपानिय र दिपटक, दो गाँव दिने । यह शैवमतका सानु चा; शायद इसको नौलेयरकी मठाधिपते किया हो । योहला चौलुक्य अवर्नतश्नईः पुत्री, सपन्बी पोनी और सिंहकी परपोती थी । इसकी पुत्री कंडक देवीका विवाह दुझिग राष्ट्रकूट (पटो) राजा अमोघवर्षे तीसरे (वहिंग ) चे हुआ या, जिसने . वि० सं० १९६ र ५९ के बीच कुछ समय से राज्य किया था। और जिससे दामका जन्म हुमा । केपूरर्पके नौहट्टाको लक्ष्मण मामक पुत्र हुआ, जो सफा नराधिकारी मा ।।। ५-लक्ष्म ण । इसने बिनाप मड़ पर दयविको जर नोयरकै मई पर इसके दिव्य अपराशर को निपतु किपा । इन साकी शिष्यपरंपरा वि