पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

हैहय-चैन । सोने चौथीं और ताँबेके सिंॐ मिलते हैं, निनकी एक तरफ़, बेठा हुई चतुर्भुनी मी मूर्ति बना है और दूसरी तरफ, 'श्रीमागेयदेवः' लिखा है। इस राजा पीछे, कन्नौजकै राठौड़ने, मचाई चैदेने, शहउद्दीनगोराने और कुमारपाल अजयदेब आदि जाने जो सिके अलाए, वे बहुधा इस शैलीके हैं। गागेयाने विमादित्य नाम धारण किया था ) कलचरियोकै लेखों में इसकी वीरताकी जो, बहुत कुछ प्रशंसा की है वह, हमारे व्याल में यथार्थ ही होगी, क्यमहोवासे मिले हुए, चंदेके देसमें इसको, समस्त जगतका जीतनेवाला लिया है, ता उसी लेमें चंदेल राजा विजयपालकी, गायदेवका गर्व मिटानेपा लिंखा है। इससे प्रकट होता है कि विजयपाल और गागेपदेयके वीच युद्ध हुआ था । इराने प्रयाग, प्रसिद्ध यटके नीचे, रहना पसन्द किया था, वहीं पर इसका देहान्त हुआ। एक सौ रानियों इसके पीछे सजी हुई। अवेरूनी, ई. सु. १०३० (वि० सं० १९८७) में गमको, हाल ( चैदी ) का राजा सिरार है । उसके समर्थका एक लेख कुलदुरी सं०७८६ (वि० सं० १०९४) को मिला है। और उसके पुत्र कवका एक तपन छलेची सं० ७९३ ( वि० सं० १ ०९९) का मिला है, जिसमें लिखा है कि कर्णदेवने, बेशी ( देनगया } नदीमें स्नान कुर, फाल्गुनकृष्ण ३ के दिन अपने पिता श्रीमद्गगेयदेवळे बदसश्राद्धपः, पण्डित विश्वरूपी सुप्त व दियः । अतएव गायब देहान्त दि० सं० १०९४ र १०९९ के बीच किस पर्प फागुनकम्य ६झा होना चाहिये और १०९९ फाल्गुनकुष्य ३ ३ दिन, उस देहान्त हुए, कम से कम एक वर्ष हो चुका था। (१) p Ind Fol I " 5 ( ३) Ep Ind vol 1 -