पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/९३

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भारतकै प्राचीन रवा स० १२११) का मिला है । अत यदुवा देहान्त वि० सद १२०० और १२१' के चार जना होगा । १३-नरसिंहदेव । चे० स० १,०३ (वि० सं० १२०८) के पूर्व ही यह अपने पिता युवज घनाया गया था। पुथ्वीरशिवमयं महाकाव्यमें सा है कि प्रधान द्वारा गइपर लिए जाने के पूर्व अजमेरके चोहान राजा पृथ्वीरगञ्जका पिता मोमे था विदेशमें रहता या । सोमेश्वरको उसके नाना जयसिंह ( गुजरात निद्राज जयसिंह ) ने शिक्षा दी थी । इह एक बार चाँईयन निधानी निपुरी गया, जहाँपर इसका विवाह वहाँके राजा फन्पा फर• देवीकै साथ हुआ । उसमें सोमेश्वरके दो पुत्र उत्पन्न हुए। पृथ्वीराज और हरिराज । 'अयपि उक्त महाकाव्य चैदिके राजाका नाम नहीं है, तभप सोमेश्वरके राज्याभिषेक स० १२२६ ओर देहान्त स० १२३६ को बैंकर अनुमान होता है कि शायद पूर्वोक कर्पूरी नरसिंहब पुत्री होगी 1 जनश्न ति ऐ भनिद्धि है कि, दिके आँवर वा अनङ्गःमाझी पत्नी सोमेश्वरका विवाह हुगा था । इसी कन्या पास मुथ्वीराज जन्म हुआ । तथा वह अपने नानाके यहाँ दिल्ली गई गया । परन्तु यह कथा राईथा निर्मुल हैं । क्या दिल्लीका राज्य हो सोमेश्वरसे भी पूर्व अजमेर के अधीन हो चुका था। तब एक सामन्त* याँ राजा गोद माना सुम्मद नहीं हो सकृता । | ग्वालियर संग राको वीरगॐ दरवारमें जयग्रन्दरि नामक छवि रता माराने ० स० १५०० के करीब हम्मीर में फिल्म बनाया। इस कापमं भी पृथराजके दिल्ली गोद जानेका कोई उल्लेख नहीं है । अनुमान होता है कि शायद पृथ्वीराजशोके रचयिताने इस कृया कल्पना कर ली होगी। (३) Ep Ind vat11, 1' In