पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/९८

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हैहय-वंश । अनेक यश किये । इसकी रानी का नाम राना था; जिससे जानदेय नामका मुन हुआ । ५–जाजदेव ( प्रथम )। यह पृथ्वीच का पुत्र था, तो उसके पीछे इसका उत्तराधिकारी हुआ ! इसने अनेक राजाको अपने अधीन क्रिया 1 चेके जाने नैनी झी, कान्यकुब्ज ( फौज) और जैजाकमुक्ति ( महोबा ) के राशा इसकी वीरयाको देख करके स्वयं हैं। इसके मित्र बन गए । इसने सभेञ्चरफी जीता । अधिभिडी, वैरागर, जिका, भागा, तलहारी, दण्डकपुर, नंदावल्ली और कुक्कुटके मडाक्लक राजा इसकी विराज्ञ देते में 1 इसने अपने नाम जाजपुर नगरे यसाया। उसी नगरमें मद, बाम और जलाशयसहित एक शिवमन्दिर बनवा कर दो गाँव उस मन्दिरकै अर्पण किये । इराके मुरुका नाम छवि था, जो विडनाग आदि काचा सिद्धान्तवा ज्ञाता था । जानके सादिमझा माम विग्रहराज था । इस जाके समय शायद चैदीका राजा यशःण, कोजका राठोई गॉपिन्द्रचन्द्र और महोगेका राजा चंदेल नाम होगा। रत्नपुरके हैहपर्यंशी राजाओंमें जाल्लदेव बड़ा प्रताप हुआ; आश्चर्य नहीं कि इस शापामें प्रथम इसने स्वतन्त्रता प्राप्त की । इसकी रानीका नाम मलदंपी' या । इस रागा तबके सिक्के मिले हैं। इनमें एक तरफ * गाजदेगः' लिखा है और दूसरी तरफ एनुमानकी मूचि घन है। चे० सं० ८६६ ( वि० सं० ११७१० सं० १११४ } का रनपुरमें एक लेवं जद्धदेवके समयका मिला है। इसके पुत्रका नाम रत्नदेय मा । (3) 1, ३१ 2. Ant Vol. 551, P 23 (३) EP. Tad, Fol ५७