पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/१९४

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| [ २ ] मेघनाद-वध [ मूल्य सुन्दर रेशम जिल्दयुक्त ३}} ] आधुनिक समय के भारतीय सफल साहित्य में से बंगाल के महाकवि नाइकेल मस्सूदन दत की नाम बहुत प्रसिद्ध है । उन्हीं के सर्वश्र ४ महाकाव्य “मेघनाद-बध” का यह हिन्दी पद्यानुवाद हिन्दी के लिए गौरव की वस्तु है । इसके विषय में अचा | १० महावीरप्रसाद जी द्विवेदी लिखते हैं- “मेघनाद-चच का कुछ अंश छपा हूं। मैं पहले भी देख चुका हूं। कल दिन भर उसकी सैर की । बड़ा अनन्द अया । मूल मेरा पढ़ा हुआ है, उसकी अपेक्षा मुझे यह अनुवाइ अधिक पसन्द था । ओज की यथेष्ट रक्षा हुई है, शब्द-स्थापना कई क्या कहना है। | सुप्रसिद्ध बङ्गाली विद्वान्, मूल मेघनाद-वध महाकाव्य के प्रतिष्ठित टीकाकार, श्रीज्ञानेन्द्रमोहनदास की सम्मति का सारांश---- अनुवादक कवि इस क्षेत्र में निस्सन्देह पहले व्यक्ति हैं। उन्होंने बँगला के सर्वश्रेष्ठ महाकाय का हिन्दी कविता में विद्वत्ता पूर्ण और अविकल अनुवाद करके हिंदी संसार में एक नवीन कायें किया है । उनकी सर्वतोन्मुखी लेखनी ने बँगला और संस्कृत ज्ञान से विभूषित हो- कर जो सफलता प्राप्त की है वह हमारी बधाई और अपरिसीम प्रशंसा को पात्र हैं। उनकी विरहिणी व्रज्ञाङ्गना सङ्कीत और भाषा सौष्ट की दृष्टि से मूल की ति ही मधुर और निर्दोष है। उनका वीराङ्गना और मेघनाद-वध नामक बराला काव्यों का मिल्टन की जोड़ का ओज पूर्ण और यथावत् हिन्दी अनुवाई हिन्दी संसार के लिये एक अमावनीय वस्तु है। उसमें उन्हें आश्चर्यंजनक सफलता मिली है।