पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/४७

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अतीत खड्ड । रेखागणित उन ‘सुल्व-सूत्रों के जगत में जन्मदाता हैं हम, रेखागणित के आदि ज्ञाता या विधाता हैं हम। हमके हमारो वेदियों पहले इसे दिखला चुकी-- निज रम्य-रचना-हेतु वे देखागणित सिखला चुकी ।। ९७ ।। सामुद्रिक और फलित ज्योतिष | आकार देख प्रकार थे हम जान जाते आप ही, | वे शास्त्र सामुद्रिक सरीखे थे बनाते आप हो । की यह रीति हिन्दुओं से ही सीखी । उन्होंने यूरोप में उसका प्रचार किया ? प्राचीन यूनानी और रोमन लोग अक्कों के लिखने की इस रात को न जानते थे । इसलिए वे अङ्कगणित में उन्नति न कर सके । आर. सी, दुचे । (ग) अरब वालों ने यह विद्या हिंन्दुओं से ही सीखी थी । इसी कारण इस वि को वे इल्में हिन्दसा' *थात् हिन्द या भारत की विद्या कहते हैं । भारतवर्ष का इतिहास । १--(क) दीजगणित तथा रेखागणित का आविष्कार और ज्योतिष के साथ उनका प्रथम प्रयोग हिन्दुओं के द्वारा ही हुआ ।। मनियर विलियम्स । (ख) संसार रंखारामत के लिये भारतवर्ष का ही ऋणी है, यूनान * नहीं । डाक्टर थी । (ग) हिन्दुओं ने देखागणित के मूल नियम निकाले और उसे यूनानिय को सिखाया । आर. सी. इस ।।