पृष्ठ:भारत भारती - श्रि मैथिलिशरण गुप्त.pdf/८५

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अतीत खण्डे । यवनराजस्व जो हम कभी फूले-फड़े थे राम-राज्य-वसन्त में, हा ! देखनी हमको पड़ी औरङ्गजेबी अन्त में है है कर्म का ही दोष अथदा सब समय की बात है, होता कभी दिन है, कभी होती अँधेरी रात हैं ।।२२४।। है विश्व में सबसे बली सर्वान्तकारी काल ही, होत अहो अपना पराय काल के वश हाल ही । बनता कुतुबमीनार यमुनास्तम्स १ का निवदु हैं, उस तीर्थराज प्रयाग का बनता इलाहाबाद है ! ।।२२५।। ---यमुनास्तम्भ अब कुतुबमीनार के नाम से प्रसिद्ध है, इसी भास के कारण वड' हिन्दू लोग का बनाया होकर भी छिप रहा है । प्राकृत प्रस्ताव में यमुनास्तम्भ पृथ्वीराज झा नथथ हुआ है । कन्या-वत्सल शृथ्वीराज ने अपनी कन्या के प्रतिदिन सन्ध्याकाल में, यमुनान ॐ निमित्त इसे बनवात्रः था । यह बात हम लोगों की कोलकल्पित नहीं है, आज कल भी दिल्ली के रूप और प्रावनिकाल के सूत्र लोगों में यही धच अनलित हैं । और भेदकाफ, हा इत्यादि अनेक अँगरेज़ और मुसलमान लोगों ने भी इसको प्रमाणित किया है कि यमुनास्लम्स हिन्दू लोग का अनवाया हुआ है। यमुनास्तम्भ के बनाने के कौशल के होग मुसलमान लोगों के वन बनाने के झौशल में अनमेल देख झर योगलार महोदय ने सिद्धान्त किया है कि यमुनास्तम्भ हिन्दुओं का बनाया हुआ है। (Journal A, B, Bengal f0" 1564, Vol. 33 ) अलीगढ़ के प्रसिद्ध सर सैयद अहमद खाँ ने, कर्नल निगम को जड़े इस विषय में एक पत्र लिखा था (Cunning:41115 3 1:ht-cologital 3:17°vey