पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१०२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११९१
सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध पर अंगरेजों का कब्जा ११e पतु . सिन्ध के साथ ईस्ट इण्डिया कम्पनी का सम्बन्ध १८ वीं सदी के मध्य में प्रारम्भ हुआा 1 सन १७५८ ईसवी में कम्पनी की ने कम्पनी को कोठी अमीर गुलामशाह कल्होर ठट्ठा और छठे का " और औरढ़बन्ट्र में कोठियाँ बनाने की इजाज़त दे दी । ठट्ठा उस समय सिन्ध में कपड़े के व्यवसाय का एक विशेष केन्द्र था । सर हेनरी पॉटिवर लिखता है कि उन दिनों नफ़ीस कपड़े और तयों के बुनने वाले ४०,००० | कारीगर ठट्ठा में रहते थे, २०,००० अन्य कई प्रकार के कारीगर थे, और इनके अतिरिक ६०००० महाजनसाहूकार, नाज के व्यापारी और अन्य दुकानदार थे । किन्तु कम्पनी की कोठी कायम होने के पचास वर्ष के अन्दर अर्थात् सन् १८०8 में उठे की कुल आबादी घटते घटते केवल २०००० रइ गई । अमीर गुलामशाह ने कम्पनी को व्यापार के लिए अनेक प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर दी थीं । किन्तु कम्पनी कम्पनी को व्यापार के पंजएर्टी का व्यवहार इतना अनुचित होने की सुविधाएँ लगा कि सन् १७७५ में लामशाह के बेटे सरफ़राज़ ने कम्पनी की कोठियाँ बन्द करवा दीं। सम१७88 में ) कम्पनो का एक नया पजएट नैथन ओो हैदराबाद पहुँचा तो की प्रार्थना पर उस समय के अमीर फतहनती खाँ मे अंगरेज़ों को सिन्ध में व्यापार करने की फिर इजाज़त दे दी और कराची में क्रो को अपने लिए मकान बनाने की भी अनुमति मिल गई किन्तु है

  • Sind Gazetter . yol, A. 7, 116.