पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११९३
सिन्ध पर अंगरेज़ों का कब्ज़ा

सिन्ध पर अंगरेज़ों का जा ११४३ दूसरा अंगरेज़ स्मिथ सन् १८०७ की सन्धि को रद्द कराने और एक . दूसरी सन्धि करने के लिए सिन्ध पहुँचा। २२ अगस्त सन् १८०४ को अंगरेज़ों और सिन्ध के मोरों के बीच फिर एक सन्धि हुई, जिसकी चार धाराएँ इस प्रकार थीं- १-अंगरेज़ सरकार और सिन्ध की सरकार के बीच सदा के लिए दोस्ती ( Eternel friendship ) क़ायम रहेगी ईं हैं ” इस्यादि । २-इन दोनों बादशाहतों के बीच कभी शत्रुता उत्पन्न न होगी । ३-अंगरे सरकार और सिन्ध सरकार दोनों एक दूसरे के यहां अपने वकील भेजती रहेंगी । और ४-—सिन्ध की सरकार सिन्ध में फ्रासीसी क़ौम को यसने न देगी । इस दूसरी सन्धि के विषय में कप्तान ईस्टचिक, जो बाद में अंगरेज़ कम्पनी की ओर से सिन्ध में असिस्टेट रेज़िडेण्ट नियुक्त हुआ, लिखता है- "ठीक उस समय जब कि हम अपनी मित्रता औौर शुभ कामना ने के लिए सिम्ध के दरबार में अपना एक राजदूत भेज रहे थे, उसी समय हम। जो राजदूत क़ाबुल गया हुआ था, वह गवरनर जनरल के सामने यह योजना पेश कर रहा था कि सिन्ध को विजय कर लिया जाय ईं ईं हैं और सिन्ध का इलाका भारतीय ब्रिटिश राज में मिला लिया जाय ।’’

  • ' , , at the very moment we ere sending an ambassador to the

court of Sindh with expressions of friendship and good will, our envoy at। Kabul was proposing to the Governor-General to subjugate the country . and incorporate the territory with the British possessions in India. " -Dry Zeate fror Yourth ky, by an EN-political, D. 243.