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भारत में अंगरेज़ी राज

११६ भारत में अंगरेजी राज जहाज़ों में नदी के ऊपर की ओर चढ़ा चला जा रहा था, एक सिन्धी 'नदी के किनारे खड़ा हुआ अपने पास के साथी से कहने लगा- “अफ़सोस ! सिन्ध अब जाता रहा, क्योंकि अंगरेजों ने दरिया का रास्ता देख लिया है, और यही सिम्व को विजय करने का मार्ग है !'s कप्तान ईस्टविक लिखता है 'यह पता लगा। लिया कि सिन्धु नदी से जहाज़ जा सकते गया हैं 'अमीरों के जवाहरात को देख कर और जो नज़रें उन्होंने अपने यूरोपियन मेहमायूं को भेंट कीं उन्हें देख कर यह भी मालूम हो गया कि सिन्ध के 'अमीरों के पास खूब धन है । मित्रता बढ़ाने के लिए सन् १८३३ और सन् १८३४ में और नई मई सन्धियाँ की गईं । सिन्धु नदी से अंगरेज़ी जहाजों के आने जाने का अधिकार प्राप्त कर लिया गया 1 सन् १८३४ की सन्धि में लिखा गया- दोनों शक्तियों, जिनके बीच यह सन्धि हो रही है, प्रतिज्ञा करती हैं ‘कि हम पीढ़ी दर पीढ़ी कभी भी एक दूसरे के इलाके को लोभ को दृष्टि से न देखेंगे ।'"'[१]

  1. " Alas ! Sindh is now Jost, since the English have seen the river "which is the road to its congrest,"-Burnes' ivately, vol . it.
    • Drys ZEag46rou Vartng Egypt, p. 249.
    • " The two contracting powers bound themselves from geieration to
    generation never to look with the eye of covetousness on the possessions of each other. "-Ibid p, 249.