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भारत में अंगरेज़ी राज

१२०४ भारत में अंगरेजी राज , पड़ने की आवश्यकता नहीं है। इतिहास लेखक ईस्टबिक, जिसे सिन्ध में अंगरेज़ों की राजनैतिक चालों का व्यक्तिगत अनुभव था; : लिखता है ‘यह सारा मामला दोपहर की धूप से भी अधिक स्पष्ट है ? मीर अली मुराद ने इन जाली पत्रों को तैयार किया था । उन सब पत्रों के जाली होने की ईस्टविक ने बड़ी विस्तृत दलोलें दी हैं, जिनकी निा पर इस समय सिन्ध के अमीरों की रियासत छीनने की योजना की जा रही थी। इस बीच ३ दिसम्बर सन् १८४० को हैदराबाद के अमीर नूरमोहम्मद खाँ की मृत्यु हो गई सिन्ध पर कब्ज़ा करने की अंगरेजों की प्रवल उत्कण्ठा के उस समय पाँच मुख्य कारण थे। पहला और सबसे मुख्य कारण यह था कि इतने दिनों खिग्ध में रह कर अंगरेज़ नीतिज्ञ पता लगा चुके थे । कि सिन्ध पर कब्ज़ा अमीरों सोने, के ख़ज़ाने चाँदी और जवाहरात करने के मुख्य से लबालब हैं । सर चाल्र्स डिल्क लिखता है- ‘‘अंगरेज़ रूम का निकास प्राचीन स्कैंडिनेविया के समुद्री लुटेरों से है, सैकड़ों वर्षों को शिक्षा ने भी अंगरेजों के खून से उस दीप को दूर नहीं किया भारत में पहुँचते ही हमें अपनी संपत्ति याद आ जाती है । वहाँ पर हमारे श्रादमी ज्योंही कि किसी देशी नरेश या हिन्दू महल पर दृष्टि कारण • ' Why the whole matter s clearear than the Sun at n on I Mir Alb Maraa forged those letters. . . . "-Dry leader fot young y4 by. astrick, M. P., p, 259.