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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध पर अंगरेजों का कब्ज़ा १२०५ झालते हैं, तुरन्त वे विवश होकर चिल्ला पड़ते हैं, ‘संध लगाने के लिए यह कैसी अच्छी जगह है !' या ‘लूटने के लिए यह कैसा अच्छा मनुष्य है ?’ दूसरा कारण यह था कि सिन्ध पर क़ब्ज़ा करके कभी भी आवश्यकता के समय सिन्धु नदी के ज़रिये भारत की उत्तर पश्चिमी सीमा पर फ़ौज भेजी जा सकती थी । लॉर्ड पतेन ने ड्यूक ऑफ़ वेलिनटन के नाम अपने पत्रों में इस कारण को बयान किया है। तीसग कारण रूस इत्यादि के हमले से अपने भारतीय साम्राज्य को सुरक्षित रखने की चिन्ता थी। चौथा कारण इतिहास लेखक सर जॉन के ने निम्न लिखित शब्दों में बयान किया है "किन्तु सिन्ध के अमीरों को इस प्रकार दण्ड देने का असली कारण यह था कि हाल में ग्रफ़ग़ारों में अंगरेजों को दण्ड दिया था । आप नी महान राजनैतिक यात्रा के इस अवसर पर अंगरेजों को नावश्यक मालूम हुया कि संसार को यह दिखा दिया जाय कि अंगरेज़ भी किसी न किसी को पीट सकते हैं, इसीलिये सिन्ध के अमीरों को पीटने का निश्चय किया गया ।

  • x & गघरनर जनरल ने तय कर लिया कि उन यमीरों को इस उदार

नीति का शिकार बनाया जायजिन्होंने कि कुछ महीने पहले ऐसे अवसर पर


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- - - - एक चापाकल का पा। • "It is in India . . . . . Te begin to remember our descent from Scandinavian seasking robbers , Centurie at educatiot have not purified! the blood, our men in India can hardly set eyes on an active prince or a What a feaर Hindoo palace belore they ery , ' What a place to break up ! to loot !' ". -Creattr itain, by Sir Charles Dilke